शनिवार, 5 जून 2021

$*Divine-appearance and Sound hearing*श्री रामकृष्ण दोहावली (62)-*ईश्वरीय-रूपदर्शन तथा ध्वनिश्रवण* बनारस में ज्ञान, कोलकाता में भक्ति*

श्री रामकृष्ण के उपदेश "अमृतवाणी " के आधार पर

(स्वामी राम'तत्वानन्द रचित- श्री रामकृष्ण दोहावली ) 

(62)  

*ईश्वरीय-रूपदर्शन तथा ध्वनिश्रवण*  

[Divine-appearance and Sound hearing] 

469 ले सपथ सच कहहुँ सुनो , रामकृष्ण कह जोर। 

909 सचमुच हरि देवत दरस , करत बात अंजोर।।

सचमुच ही ईश्वर को देखा जा सकता है , जैसे इस समय हम-तुम बैठकर बातचीत कर रहे हैं , इसी तरह उनके  दर्शन तथा सम्भाषण हो सकते हैं। मैं सच कहता हूँ , शपथपूर्वक कहता हूँ।  

ईश्वर का साक्षात्कार दो प्रकार का होता है - एक में जीवात्मा तथा परमात्मा का योग होता है ; दूसरे में ईश्वरीय रूपों के दर्शन होते हैं। पहला ज्ञान है और दूसरी भक्ति। 

[1992 'कबीर चौरा अस्पताल' बनारस में ज्ञान, 1987 'बेलघाड़िया कैम्प कोलकाता' में भक्ति। ]  

470 प्रणव ध्वनि परब्रह्म से , सदा उठत निज आप। 

912 सुनत योगी नहि विषयी , विगत मोह अरु पाप।। 

अनाहत ध्वनि सदा अपने-आप उठ रही है।  यह प्रणव ध्वनि है। यह परब्रह्म से आ रही है। योगी इसे सुन पाते हैं। विषयासक्त जीव इसे नहीं सुन पाते। योगी समझ सकते हैं कि यह ध्वनि एक ओर नाभि में से उठती है तथा दूसरी ओर उस क्षीरोदशायी परब्रह्म से।  

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[एक 14 अप्रैल 1992: रोहनिया , ऊंच, बनारस पुल पर जीप ऐक्सिडेंट के बाद 'कबीर चौरा अस्पताल' बनारस में  ज्ञान है , दूसरा 26 दिसंबर 1987  बेलघड़िया कैम्प, कोलकाता में माँ भवतारिणी का रूपदर्शन -भक्ति है । 



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