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बुधवार, 8 सितंबर 2021

$$$$$ ( Volume -2 : 91 से 139 परिच्छेदों की सामग्री : CONTENTS) [(19 सितम्बर, 1884 से 22 अप्रैल, 1886) श्री रामकृष्ण वचनामृत]

 श्रीरामकृष्ण वचनामृत- खण्ड (2)  

* [(19 सितम्बर, 1884 से 22 अप्रैल, 1886) ] > कुल 49 परिच्छेदों की सामग्री * 

$$$$ परिच्छेद ~ 91,[(19 सितंबर,1884) श्रीरामकृष्ण वचनामृत ] Leavings from a jackal's meal * ~ तंत्र साधना में शिवानी का जूठन क्यों खाया जाता है ?*सर्व विष्णुमयं जगत् *The three stages —शास्त्र , गुरुमुख होना , साधना > Goal !* अब लौं नसानी, अब न नसैहों* (Be and Make) का संकल्प -ग्रहण ( प्रतिज्ञा-पत्र,Autosuggestion -form पर हस्ताक्षर *शंखचील (सफेद परवाली चील- या ब्राह्मण ) को देखकर लोग प्रणाम क्यों करते हैं *लोमश मुनि और काकभुशुण्डि~ प्रार्थना करोगे कभी मुझसे दूसरे की निन्दा न हो* Origin of Language-Philosophy of Prayer* मनुष्य बनने के लिए संस्कार (sacraments) और तपस्या (penance) की आवश्यकता * (Be and Make)/संस्कार (जन्मजात प्रवृति -inherent tendencies) को अभ्यास योग से बदलने) की बात। का संकल्प -ग्रहण ( प्रतिज्ञा-पत्र,Autosuggestion -form पर हस्ताक्षर* विजय कृष्ण गोस्वामी* मनुष्य बनने के लिए संस्कार (sacraments) और तपस्या (penance) की आवश्यकता * संन्यासियों का कठिन नियम~ लोकशिक्षार्थ त्याग* यहाँ आदमी क्यों आते हैं ? - वैसा पढ़ा लिखा भी तो नहीं हूँ ।*अवतार का आकर्षण* ईश्वर की लीला में योगमाया की सहायता से आकर्षण होता है, एक तरह का जादू-सा चल जाता है ।* गोपियों का प्यार क्या है, परकीया रति है *कृष्ण लीला में ~ 'गोपी प्रेम और वस्त्र हरण' ~ की व्याख्या *आधारों (special souls) की विशेषता* मलय-पर्वत की हवा के लगने पर भी बाँस चन्दन नहीं बनता * 1987 में झुमरीतिलैया से 10 लोगों ने नाम भेजे थे, उनमें से केवल तुम ही बेलघड़िया कैम्प कैसे पहुँचे ?* मनुष्य क्यों योगभ्रष्ट होता है ?*परकीया भोग (Bh) करने की लालसा*मन ही मनुष्यों के बन्धन और मुक्ति का कारण है* जन्मजात प्रवृति -inherent tendencies) को अभ्यास योग से बदलने की प्रक्रिया(अनासक्ति पूर्वक मनःसंयोग का -अभ्यास करो)*श्री राधिका गोस्वामी को सर्वधर्म -समन्वय का उपदेश *धार्मिक मेले में (Baroari या सार्वजनिक पूजोत्सव) अनेक तरह की मूर्तियाँ पायी जाती हैं*क्या ईश्वर प्रार्थना सुनते हैं ? साधना- लोमस मुनि जैसा मुझसे कभी दूसरे की निंदा न हो ! *गुरु (नेता-CINC नवनीदा ) और ईश्वर (माँ काली) के अवतार में अद्वैत बोध * गुरु पादुका और शालग्राम की पूजा* * श्री रामकृष्णदेव और नित्य-लिला योग की अवस्था *

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$$ परिच्छेद ~ 92, [(21 सितंबर,1884), श्रीरामकृष्ण वचनामृत ] (VIBHU-Omnipresent ) Brahman =Sakti *स्टार थियेटर में चैतन्यलीला-दर्शन *आर घुमाइओ न मन। -Sleep no more! O mind, unclose your eyes at last And wake yourself from evil dreams*साहस और दुस्साहस के बीच अंतर* (Difference between Courage and Audacity)*ब्रह्म (दिव्यता-चैतन्य) बिभूरुप से सर्वभूतों में हैं - Each soul is potentially divine: *गुरुगिरि करने वाले ही नाम-यश चाहते हैं, शुद्ध भक्त कभी षडैश्वर्य नहीं चाहता (A pure devotee never wants Supernatural Powers )* *वैश्या-अभिनेत्रीयों में माँ आनन्दमयी का रूप दर्शन*अष्ट सिद्धियाँ ईश्वर-लाभ में विघ्नरूप हैं* Love to all~ सर्वग्रासी प्रेम ~ तब हृदय में माँ काली प्रकट होती है*चीने शंखारी के साथ समदर्शी भाव*गृहस्थ गुप्त योगी हो सकता है- उसे बाहर से नहीं, मन से अनासक्त होना है *संसारी मनुष्य जब शिक्षा देता है तब, परिवार और ईश्वर दोनों से समझौता करने के लिए कहता है*गृहस्थ भी अन्त में विज्ञानी हो सकता है, पर जबरन संसार छोड़ना अच्छा नहीं *हाजरा कहता है, 'तुम धनी लोगों को बड़ा प्यार करते हो, जिनके रुपया-पैसा, मान-मर्यादा खूब है *गौरांगप्रेम के नशे में मतवाले श्री रामकृष्ण**जीवन धन्य (सार्थक blessed) होता है ~ अवतार या नेता पर भक्ति होने से* प्रेम के अंकुर के बिना उगते ही तीर्थ जाओगे, सब सूख न जायेगा ?

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$$$$$ परिच्छेद ~ 93 [(26, 28- सितंबर, 1884) श्रीरामकृष्ण वचनामृत ]  *(consciousness) शाश्वत चैतन्य  के चार स्तर *  आशीर्वाद गुरु/नेता (C-IN-C) बिल्लाधारी व्यक्ति नहीं ईश्वर ही देते हैं * * चरणामृत और पंचामृत का अन्तर * ठाकुरदेव खुद प्रार्थना करके सीखा रहे हैं --How to Pray ?**शराब की लत छुड़ाने के उपाय**‘मंत्रं साधयामि-शरीरं वा पातयामि’*(" एबार काली तोमाय खाबो। (खाबो खाबो, गो दीन दयामयी)। *आहार-शुद्धि के विषय में तंत्र का मत, वेद, पुराण के मत से भिन्न है* *मूर्तमान ज्ञान (घनीभूत चैतन्य) को नित्यसिद्ध कहते हैं * * ईश्वरकोटि और जीवकोटि ** सच्चिदानन्द और कारणानन्दमयी * God impersonal ,(अवैक्तिक ईश्वर) and personal (माँ काली )] *Open-eyed Meditation and concentration *आहार-शुद्धि के विषय वेद, पुराण से तंत्र का मत भिन्न है* *राजपूत (नेता) को चैतन्य की चारो अवस्थाओं का ज्ञान होता है * ईश्वरकोटि और जीवकोटि * अनुलोम और विलोम (negation and affirmation. नेति से इति ) ^ *मूर्तमान ज्ञान (घनीभूत चैतन्य) को नित्यसिद्ध कहते हैं * राजर्षि जनक और ब्रह्मर्षि शुकदेव **ज्ञानी तथा भक्त की अवस्था का भोजन -विचार * * चंद्रमास -पंचांग - और तन्त्रसाधना में महाष्टमी ^ के दिन का महत्व*चरणामृत और पंचामृत का अन्तर * Dogmatism is not good *साधारण ब्रह्म समाज और मूर्तिपूजकों का प्रवेश-निषेध साइनबोर्ड *ऐसा भाव अच्छा है~~'मेरा धर्म ठीक है, पर दूसरों के धर्म में सचाई है या वह गलत है, यह मेरी समझ में नहीं आता All have not the same power of digestion'*वेदों में ईश्वर को निर्गुण, सगुण दोनों कहा है*दोनों पल्ला भारी*वेतनभोगी प्रचारक-नेता (Salaried Preacher) विजय गोस्वामी के प्रति उपदेश (rda,dsrkr,pda,orsa)* प्रभावशाली हस्ती , कुत्ता , सांढ़(calm it with a gentle Voice) , शराबी से सावधान , कहना पड़ता है - क्यों चाचा कैसे हो ?* सत्संग (pda)की बड़ी आवश्यकता *The companionship of a holy man is greatly needed* आशीर्वाद ईश्वर ^ देंगे * गृहस्थाश्रम और संन्यास*गृही ब्राह्मभक्त (भावी राजर्षि) को उपदेश* [महामण्डल आन्दोलन सांसारिक (गृही-CINC ) और आध्यात्मिक (संन्यासी) आदर्शों का मिश्रण है] [महामण्डल में 'राब ' ('गुड़ का रवा'-ऋषित्व) भी है और शीरा ('गुड़रस' -राजत्व ) भी]* *गृहस्थ लोग को कामिनी -कांचन में अनासक्त होकर परिवार में रहना चाहिए* खुली आंखों से ध्यान (दृष्टा -दृश्य विवेक) और मूंदी आँखों से एकाग्रता का अभ्यास * [गीता-चण्डी के मत से शिवनाथ के भीतर ईश्वर की शक्ति है -एवं श्री केदार चट्टोपाध्याय* [God impersonal and personal — सच्चिदानन्द और करणानन्दमयी - राजर्षि और ब्रह्मर्षि!] *ईश्वरकोटि और जीवकोटि - मूर्तिमान ज्ञान है -नित्यसिद्ध **श्रीरामकृष्ण ने मुर्शिद (गुरु, मार्गदर्शक नेता) गोविन्द राय से अल्लाह मंत्र लिया*

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$$$$$$ परिच्छेद ~ 94 [(29- सितम्बर, 1884) श्रीरामकृष्ण वचनामृत ] *(आदि पुरुष -Primal Purusha,) की स्तुति -विवेकानन्द के  चेहरे पर टकटकी लगाओ और धन्य हो जाओ !  "Gaze on His face and be blest!" *नेता के जीवन में माँ का स्थान कितना ऊँचा है !क्या उनके आदेश को हल्के में लें ?*जन्मदात्री माता के प्रति श्रीरामकृष्ण मातृभक्ति । संकीर्तनानन्द**:"Can't God fulfil a devotee's desire?"*क्या भगवान अपने भक्त की मनोरथ पूर्ण नहीं कर सकते ?* आराध्यदेव ही हमारे अभिभावक हैं  **दृष्टांत कथा – एक अथार्थी भक्त* One boon covered many things* — मैं सोने की थाली में अपने पोते के साथ भोजन करूँ ^  मामेकं शरणं व्रज : भगवत् पूजा में मुख्य हेतु भाव ही है । अवस्था, वस्तुएं और आचार आदि सब गौण हैं ।*नेता में पटवारी बुद्धि (व्यापरियों की चतुर- टैक्स बचाने वाली गणना)अनिवार्य * *किसी से मतान्तर होने पर उसके साथ कैसा व्यवहार करें ?*सर्वमंगल प्रार्थना  *श्री रामकृष्ण द्वारा स्वमुख कथित जीवनी*   [Alleged biography by Sri Ramakrishna] [सम्पूर्ण मानवता के लिए ~ अवतार वरिष्ठ श्रीरामकृष्ण का प्रेम ~ Love of Mankind] *दिव्यभाव या मातृभाव से साधना* स्त्रीभाव या वीरभाव बड़ा कठिन*महिलाओं को साथ लेकर वामाचार पद्धति से साधना करने की मनाही*  *तमोगुणी नारायण को हाथ जोड़कर प्रसन्न करो * * "आर भूलाले भूलबो ना माँ , देखेछि तोमार रांगा चरण !" *अच्छा, नरेन्द्र तथा मेरे लिए यहीं प्रसाद की व्यवस्था हो ।”*श्री रामकृष्ण और गोलोक-धाम खेल - "सही (सरल-निष्कपट) व्यक्ति हर जगह जीतता है !" *  *सच्चे आदमी की हार कहीं नहीं होती*He said to M., aside, "Don't play any more."* पहले कारणानन्द होगा, फिर भजनानन्द^ *तुम्ही दस महाविद्याएँ *^ हो माँ और तुम्हीं दस अवतार ।  अबकी बार किसी तरह, माँ, मुझे पार करो ।*माण्डूक्य उपनिषद,गौड़पादीय कारिका   सोमवार, 20 जुलाई 2020/ *ठाकुर श्री रामकृष्ण  तथा मेडिसिन में विश्वास* It is God who, as the doctor, prescribes the medicine. *ज्ञान और अज्ञान क्या है ?* ईश्वर दूर है तब तक अज्ञान है और जब यह बोध है कि ईश्वर यहीं तथा सर्वत्र है, तभी ज्ञान है **यथार्थ ज्ञानी किसी शिशु जैसे विश्वास के साथ - जगत को चैतन्यमय देखता है * श्री रामकृष्ण नवमी पूजा के दिन दक्षिणेश्वर में भक्तों के साथ *जीव-कोटि के साधक संशयात्मा (Sceptic) ईश्वर-कोटि का विश्वास स्वयंसिद्ध*शक्ति और शक्तिमान दोनों अभेद*विभु (सर्वव्याप्त शाश्वत चैतन्य) सब जगह हैं ।*

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 [परिच्छेद ~ 95, (1 अक्टूबर, 1884) श्रीरामकृष्ण वचनामृत]   *जगत्कारण  परब्रह्म आनंदमय श्रीरामकृष्ण देव -हेडीज़  बर्स्ट शिवा~ पाताल फोड़ शिव हैं ! * जगत्कारण आनन्दमयी माँ काली और श्रीरामकृष्ण अभिन्न हैं*  ["परम्  सत्य "^ = श्रीठाकुरदेव की कृपा के बिना कोई व्यक्ति इन्द्रियातीत सत्य , जगत्कारण आनन्दमय परब्रह्म को , (अर्थात मनुष्य के तीसरे पहलु -शारीरिक,मानसिक > आध्यात्मिक पहलु) को नहीं जान सकता अर्थात विकसित नहीं कर सकता। *आन्तरिक भक्ति से जातिभेद समाप्त होता है - तस्मिन् तुष्टे जगत् तुष्टम्* *सकार-निराकर जैसे बहुरूपी (chameleon,गिरगिट) कभी लाल दीखता है~ कभी हरा ** चीनी का पहाड़ उठाने का दुस्साहस करने वाली मूर्ख चींटी * 

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 [परिच्छेद ~ 95 (A) (2 अक्टूबर, 1884) श्रीरामकृष्ण वचनामृत ] *तालिबानी सोंच ~ धर्मान्धता (Dogmatism) का त्याग करें*"मनुष्य, प्रतिमा, शालग्राम सब में एक ही सत्ता है* I do not see two. I see only one. *मानसिक नमस्कार करना अच्छा है *It is good to do mental salutations* हार और जीत ईश्वर के हाथ में हैं *  [Defeat and victory are in the hands of God]*गोलकधाम-खेल में, बहुत कुछ बढ़ गया, परन्तु फिर पौ (छक्का) न पड़ा ।*"Look at the man's body. The head, which is the root, has gone up.""मनुष्य के (3H) पर विचार करो -  पहले शरीर (Hand) को देखो । सिर (Head) जो जड़ है, ऊपर चला गया ।  हृदय (Heart-अविनाशीआत्मा ) और भी सूक्ष्म है।* कर्मयोग तथा मनोयोग* *तुम्हारा कर्तव्य क्या है -'3H ' विकास के '5 अभ्यास' करना। *कर्मयोग -विश्वास और प्रेम से पूजा (शिवज्ञान से जीवसेवा) करने पर भगवत् का साक्षात्कार हो जाता है * 12 वर्ष बीत जाने पर दंडी अपना दंड फेंक कर परमहंस हो जाता था। **भक्तियोग में योग के समस्त साधन होते हैं >भक्तियोग में कुम्भक स्वतः होता है* * प्राणवायु रुक जाने पर -मन एकाग्र , केवली कुम्भक , विवेकज-ज्ञान या मृत्युंजयी ज्ञान होने से विवेक-बुद्धि स्थिर होने से भी (विवेकजज्ञान ?) !* गृहस्थ लोग कामिनी-कांचन को माया कहकर उड़ा नहीं सकते * * चैतन्य देव के अनुसार गृहस्थों का कर्तव्य >जीवे दया ~ वैष्णव-सेवा ~ नामसंकीर्तन*   *जो आचार्य/नेता /(C-IN-C) हैं उन्हें कामिनी-कांचन त्याग करना होगा , फिर लोकशिक्षा का अधिकार**श्री रामकृष्ण का कांचन (बाघंबरी अखाड़ा -महन्तगिरी) - परित्याग * गृहस्थ लोकशिक्षक /नेता के लिये सत्संग और श्रद्धा दोनों अनिवार्य है* सरलता तथा ईश्वर-प्राप्ति *पवित्र मन जल्द एकाग्र होता है **श्री 'म' को उपदेश  *शुद्ध आत्मा में ही, अविद्या, माया, तीन गुण हैं , लेकिन वे उससे निर्लिप्त हैं ! *जैसे साँप के मुख में ही विष है , पर वह उससे निर्लिप्त है।*$$$$$$$$*जो शुद्ध आत्मा (व्यष्टि-समष्टि अहं से भ्रममुक्त आत्मा)  हैं, वही महाकारण - कारण का कारण हैं ।* 

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🔆🙏$$$$$$🔆🙏परिच्छेद- 96, [ (5 अक्टूबर, 1884) श्रीरामकृष्ण वचनामृत]

🔆🙏अहेतुकी भक्ति-हाजरा महाशय - मुक्ति तथा षडैश्वर्य/🔆🙏हाजरा महाशय और तत्त्वज्ञान / 🔆🙏हाजरा अपने को कसौटी का पत्थर (touchstone) समझते थे खरा-खोटा परखते थे/ 🔆🙏'कसौटी के पत्थर'- हाजरा महाशय 'षडरिपु' को भी 24 तत्व में गिनते थे/ 🔆🙏नेता/गुरु  तत्वज्ञान का अर्थ बतलाते है -आत्मज्ञान; जीवात्मा परमात्मा के एकत्व ज्ञान/   तत् अर्थात् परमात्मा, त्वं अर्थात् जीवात्मा-तत्वमसि/ 🔆🙏 बंशी से मछली पकड़ने वाला नेता (The Angler) तर्क में नहीं उलझते / मुक्ति और षडऐश्वर्य  - हाजरा की मलिन और निःस्वार्थ भक्ति/ 🔆🙏सिर्फ निःस्वार्थ भक्ति के बल पर -'अब्राह्मण -शबरी और रैदास ' की मुक्ति हुई/🔆🙏हाजरा नहीं मानता कि -'ईश्वरलाभ के लिए निष्काम भक्ति आवश्यक है'/🔆🙏मिलावटी -भक्ति और शुद्धा भक्ति/ 🔆🙏किसी की निन्दा न किया करो; सब नामरूप नारायण ही धारण किये हुए हैं/ 🔆🙏भक्त ईश्वर का बैठकखाना है ।ভক্ত ঈশ্বরের বৈঠকখানা।The devotee is His parlour./ 🔆🙏निष्काम कर्म । संसारी तथा ‘सोऽहं’/ 🔆🙏साधु और निष्कामकर्म - भक्ति की कामना - वेदांत - गृहस्थ और सोऽहं '/ 🔆🙏सद्गुरु मंत्रदीक्षा के पहले शिष्य के सारे पाप क्यों माँग लेते हैं ?/ 🔆🙏जप-ध्यान करते समय समय, ज्ञान ,भक्ति,विवेक,वैराग्य की कामना अच्छी है/ 🔆🙏षड्दर्शन का सार - ब्रह्म सत्य और जगत मिथ्या; और मैं ब्रह्म (इन्द्रियातीत सत्य) हूँ !/  🔆🙏 जिनमें देहबुद्धि है (अपने को M/F शरीर समझते हैं) उनके लिये 'सोऽहं ' ठीक नहीं/ 🔆🙏कामिनी-त्याग/ 🔆🙏'M' की धर्मपत्नी केशव सेन की चचेरी बहन थीं ?/ 🔆🙏CINC नवनीदा और पालकी में बैठकर " जानिबीघा " जाने का आनन्द/ 🔆🙏जिसका हाथ  स्वामी जी ने पकड़ लिया है , उसके गिरने का भय नहीं/ बाप रे, बाघ जैसे आदमी को पकड़ता है, वैसे ही ईश्वर इन्हें पकड़े हुए हैं ?/ 🔆🙏माँ काली के भक्तों के लिए  सभी स्त्रियाँ माँ आनन्दमयी की एक मूर्ति हैं/ 🔆🙏 हरिबाबू, निरंजन, पांडे खोट्टा, जयनारायण/ 🔆🙏बूढ़े दरबान (चनेशरबाबू) की दूसरी पत्नी 14 साल की थी -मियाँ भगा ले गया/ 🔆🙏सभी विवाहित पुरुष अपनी बीबी की तारीफ करने को बाध्य हैं -उनके वश में हैं !/ 🔆🙏ठाकुर देव की 'प्रेमोन्माद' के साथ साथ 'सहज' (natural) इत्यादि विभिन्न अवस्थायें /🔆🙏तत्वज्ञान का उपदेश देते समय युवा अवस्था हो जाती है !/🔆🙏नारायण ने कम उम्र में ही  पहचान लिया था कि ठाकुर अवतार वरिष्ठ है ! / 🔆🙏कामिनी-कांचन त्याग ही एक साधु की कठिन साधना है।/ 🔆🙏साधना की अवस्था में कामिनी दावाग्नि-सी है - कालनागिनी-सी !/ 🔆🙏भक्त (नेता) को साधनावस्था में स्त्रीयों  से 8 हाथ दूर रहना चाहिये/ 🔆🙏निरंजन और नरेन्द्र कितने निष्कपट हैं ? नरेन्द्र तो अग्रसोची-बुद्धि का भी है !/

घर में हो या बाहर - हमेशा वही -निश्छल,निष्कपट ! always the same — without guile.!/  🔆🙏नीलकंठ की जात्रा नाटक देखने -श्री रामकृष्ण का नवीन नियोगी के घर पर जाना/ 🔆🙏श्री रामकृष्ण, केशव और ब्रह्म समाज - सर्वधर्म समन्वय का उपदेश/ 🔆🙏श्री रामकृष्ण, केशव और ब्रह्म समाज /🔆🙏 श्रीरामकृष्ण देव से आध्यात्मिकता की जो बाढ़ निकलेगी ,उस प्लावन में निराकारवादी -साकारवादी सभी बह जायेंगे ! केशव सेन के पास केवल भौतिकवादी गृहस्थ लोग ही जाते थे, भक्त नहीं !/ 🔆🙏श्री रामकृष्ण और हिंदू, मुस्लिम, ईसाई - वैष्णव और ब्रह्मज्ञानी /यह मत कहो कि हमारा ही मार्ग सत्य है और बाकी सब मिथ्या - भ्रम है ।/🔆🙏रुचिभेद ,अधिकारि- भेद के अनुसार एक ही वस्तु नाना रूपों में दिखाई देती है /उसी तरह देश, काल और पात्र के भेद से ईश्वर तक पहुँचने के विभिन्न मार्ग बने हैं/ 🔆🙏शरीर के लक्षण से छली-कपटी  या भाग्यवान निष्कपट व्यक्तित्व की पहचान /🔆🙏भक्त मुखर्जी भाई नौकरी नहीं करते थे उनकी अपनी आटा -चक्की थी !/ 🔆 शरीर के लक्षण से ईश्वर-दर्शन होगी या नहीं की पहचान - पंडित महेश न्याय-रत्न के छात्र/ 🔆🙏बिल्ली जैसे भूरी आँखों वाले नास्तिक होते हैं !ज्योतिष खोजते हैं / 🔆🙏श्री रामकृष्ण, मणि और गोपनीय विचार - "ईश्वर की इच्छा" - नारायण के प्रति विचार/ 🔆🙏नीलकंठ आदि भक्तों के साथ कीर्तनानन्द में / 🔆🙏मैं दुनियादारी में उलझा हुआ हूँ; मुझे भी अच्छा कर लीजिये !/तुम तो पहले से ही अच्छे हो !'का' पर एक और आकार लगाने से 'का' का 'का' ही रहता है ! আমায়ও ভাল করুন।"Make me all right too."/ 🔆🙏माँ जगदम्बा ने अपनी समस्त संतानों के कल्याण के लिए तुम्हें संसार में रखा है/ 🔆उनका नाम लेते हुए जब तुम्हारे नेत्र भर आयें तो समझना तुम्हें ठाकुर से प्रेम हो गया है !/ 🔆ईश्वर की अनुभूति हो जाने के बाद, विभिन्न तरीकों से ईश्वर से प्रेम करने का नाम है विज्ञान/ 🔆🙏जब तुम लीला से नित्य में जाकर फिर वहाँ से लीला में लौट सके -तब भक्ति पक्की/ 🔆🙏यहाँ लेकिन केवल सम्मानानार्थ (honorary) है !/ 🔆🙏जिनको चैतन्य हो गया है (अर्थात आत्मानुभूति हो गयी है), वे ही 'मान हूंस' हैं/ 🔆🙏ठाकुर कौन है? 'मैं' को खोजने से भी नहीं मिलता  - "मैं चंडी को घर लाऊंगा"/ 

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🔆🙏 $$$ 🔆🙏 परिच्छेद~ 97 [ (11 अक्टूबर, 1884) श्रीरामकृष्ण वचनामृत ] 'उत्तिष्ठत , जाग्रत '- ईशान को उपदेश ! 🔆🙏दक्षिणेश्वर में वेदान्त बागीश-ईशान आदि भक्तों के साथ / 🔆🙏ज्यादा पैसा होने का दिखावा -जमीन दलाल से दोस्ती / 🔆🙏घोषपाड़ा की स्त्रियों का  हरिपद के लिए गोपाल भाव  - कौमार्य - वैराग्य और स्त्रियाँ / 🔆🙏जितेन्द्रिय होने का उपाय - प्रकृतिभाव-साधना / 🔆🙏शिवलिंग की पूजा मातृस्थान और पितृस्थान की पूजा है ।/  🔆🙏स्त्रियों को साथ लेकर साधना कभी मत करो ! - श्री रामकृष्ण का बार-बार निषेध / 🔆🙏कृष्ण का मोरपंख योनि का प्रतिक -अर्थात श्रीकृष्ण ने प्रकृति को सिर पर रखते थे / रास-मण्डल में श्रीकृष्ण का स्त्री-वेश धारण क्यों हुआ ?/जब तक कोई पुरुष स्वयं स्त्री का स्वभाव धारण नहीं कर लेता, वह स्त्रियों के साहचर्य में रहने का अधिकारी नहीं होता ! /নিজে প্রকৃতিভাব না হলে প্রকৃতির সঙ্গের অধিকারী হয় না। /Unless a man assumes the nature of a woman, he is not entitled to her company. / 🔆🙏 श्री रामकृष्ण और मनःसंयोग अर्थात बहिर्मुखी मन को अन्तर्मुखी बनाना / 🔆🙏प्रत्याहार -धारणा का अभ्यास यहीं तक है। ध्यान - खुली आँख से भी होता है। पूर्ववृत्त  - 1864 ई तक केशव ने एकाग्रता की शक्ति से/ और ईश्वर की इच्छा से नाम-यश जो चाहा उन्हें प्राप्त हो गया। / 🔆🙏[पूर्ववृत्त  - सिक्ख भक्त और श्री कृष्णदास के साथ बातचीत]/ 🔆🙏लालाबाबू और रानी भवानी का वैराग्य  - पूर्वजन्म का संस्कार रहने से सत्वगुण/ 🔆🙏कृष्णदास का रजोगुण - जगत का कल्याण करने वाले तुम कौन हो ?/ 🔆🙏घोषपाड़ा मतानुसार स्त्रियों के साथ बैठकर साधना करने से ठाकुर का बार-बार निषेध/हरिपदेर सेइ पातानो माँ एसे छिलो ! क्या तुमने अपना आदमी ठीक कर लिया है ?/স্ত্রীলোক লয়ে সাধন ঠাকুরের বারবার নিষেধ — ঘোষপাড়ার মত /“হরিপদের সেই পাতানো মা এসেছিল।"🔆🙏पुरुषप्रकृति-विवेक योग, राधा-कृष्ण कौन हैं? आद्याशक्ति / वेदान्त वागीश , दयानंद सरस्वती, कर्नल अलकट्ट, सुरेंद्र, नारायण / 🔆🙏श्रीरामकृष्ण के कमरे की सज्जा -  परिवेश के दोष तथा गुण , चित्र, पेड़, लड़के /🔆🙏 'दयानन्द ने मूर्तिपूजा के विषय में जो कुछ भी कहा है वह शास्त्र सम्मत नहीं है !'/ 🔆🙏श्री रामकृष्ण और थियोसॉफी - क्या वे व्याकुलता पूर्वक ईश्वर को खोजते हैं ?/ 🔆🙏अवतार भी साधना करते हैं – लोकशिक्षार्थ/ 🔆🙏राधा ही आद्यशक्ति या प्रकृति हैं - पुरुष और प्रकृति, ब्रह्म और शक्ति अभेद/ 🔆🙏नाम और रूप; प्रकृति (चित्-शक्ति) का ऐश्वर्य है/ 🔆🙏साधुसंग -पाठचक्र -कैम्प से संसार-रोग बहुत हद तक घट जाता है / 🔆वेदांत वागीश को उपदेश - साधुसंग करो; 'मेरा' -कहकर कुछ नहीं है; मैं उनका दास हूँ / 🔆🙏तुम्हारे अपने बस एक ही आदमी हैं – ईश्वर ।/ 🔆गृहस्थ सब कुछ त्याग नहीं सकता - ज्ञान अन्तःपुर में नहीं जाता - भक्ति जा सकती है/ 🔆🙏गुरुगृहवास या कैम्प का महत्व / 🔆🙏आदर्श (नेता -विवेकानन्द) के लिए व्याकुल होओ , उन्हें प्यार करना सीखो / 🔆🙏ईशान को उपदेश - भक्ति योग और कर्मकाण्डीय पुरश्चरण - ज्ञान के लक्षण/ 🔆🙏ज्ञान के दो लक्षण -ईश्वर में अनुराग और जाग्रत कुण्डलिनी शक्ति/ 🔆🙏ईश्वरानुराग में कुण्डलिनी शक्ति का जाग्रत हो जाना ही भक्ति योग है/ 🔆🙏श्रीरामकृष्ण और षट्पद्मों में आदि-शक्ति (काम-उर्जा?) का ध्यान/ निवृत्तिमार्ग । वासना का मूल – महामाया/[ निवृत्ति मार्ग - ईश्वरत्व प्राप्ति के बाद कर्मत्याग ]/[নিবৃত্তিমার্গ — ঈশ্বরলাভের পর কর্মত্যাগ][ईशान को उपदेश - 'उत्तिष्ठत , जाग्रत '- कर्मकाण्डी अनुष्ठान  बहुत कठिन है]/ 🔆तीव्र वैराग्य चाहिए -माँ जगदम्बा के गुण गाते हुए उनमें पादपद्मों में अनुराग पैदा करना चाहिए/उठो , जागो , कमर कसो और लक्ष्य (ईश्वरत्व या 100 %निःस्वार्थपरता ) मिलने तक रुको नहीं !'उत्तिष्ठत , जाग्रत ' --उठे पड़े लागो। कोमर बाँधो ! / 🔆[श्री रामकृष्ण और योग सिद्धांत - कामिनी-कांचन में आसक्ति ही योग के विघ्न हैं ! / 🔆🙏बाँस से बने 'षट्काकल जुगाड़' द्वारा मछली पकड़ना / 🔆 देहु शिवा बर मोहे इहै" -  जब आव की अउध निदान बनै; अति ही रन मै तब जूझ मरों/🔆🙏जब मैं भी जगतजननी काली के कुल /"काली -ठाकुर परम्परा, विवेकानन्द -कैप्टन सेवियर-परम्परा"  में पैदा हुआ हूँ/तो माँ जगदम्बा की भक्ति पर मेरा भी अधिकार अवश्य है !🔆🙏 त्रैलोक्य विश्वास का जोर -আমার হিস্যে আছে।I have a share in the estate! निष्काम कर्म - अधिकार से पुकारो "मेरी माँ" !}[ত্রৈলোক্য বিশ্বাসের জোর — নিষ্কামকর্ম কর — জোর করে বল “আমার মা”/ 🔆🙏तुम जिसके अंश होते हो, उसके प्रति तुममें एक स्वाभाविक आकर्षण रहता है/ 🔆🙏भक्त को पंचैती, मुखियागिरी, गुरुगिरि नहीं करनी चाहिए /  🔆🙏ईश्वर के दर्शन क्यों नहीं होते ? /[जबतक  कामिनी-कांचन में ही आसक्त है, ईश्वरत्व की प्राप्ति नहीं होती] 🔆🙏ऐषणाओं में आसक्ति  का मूल हैं ~  'महामाया' इसलिए पहले कर्मकाण्ड से चित्तशुद्धि/ 🔆🙏उर्जिता भक्ति 🔆🙏श्रीरामकृष्ण का सर्ववासना-त्याग । केवल भक्ति-कामना*🔆🙏ईशान को उपदेश - चाटुकार लोगों  से सावधान, जगत का कल्याण और नाचीज मनुष्य/ 🔆🙏 सलाह लेनी हो तो संन्यासी से लो , गृहस्थ से नहीं /[और  (नेतागिरी करने)  मुखियाई और सरपंची आदि की क्या जरूरत है ?/ 🔆🙏'ईशान नाम ' सार्थक करो , माँ ने ही यह उपदेश दिया / 🔆🙏हजार साल से बन्द  कमरे का अंधकार  जाने में हजार साल नहीं  लगते -दीपक जलाते ही सारा अंधकार एक क्षण में मिट जाता है।/ 🔆🙏आद्याशक्ति के प्रसन्न होने पर ही विष्णु की योगनिद्रा छूटती है/ 🔆🙏 कर्मकाण्ड कठिन है - 'काली ही एकमात्र मर्म हैं ' इसीलिए भक्तियोग*/ 🔆🙏 वैधी धर्म को कर्मकाण्ड कहते हैं -निष्काम कर्म कठिन इसलिए भक्ति मार्ग सरल/ 🔆🙏पुश्चरण का फल (निवृत्ति) ईशान को  क्यों नहीं मिला ? योग और भोग दोनों ? 🔆🙏 [शिवसंहिता :🔆🙏 

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🔆🙏परिच्छेद ~ 98 [ (18 अक्टूबर, 1884) श्रीरामकृष्ण वचनामृत ] "आत्मानन्द में "- बाबूराम (स्वामी प्रेमानन्द) श्री रामलाल और हरिपद के साथ/🔆 श्री रामकृष्ण काली पूजा की महानिशा में दक्षिणेश्वर मन्दिर में भक्तों के संग🔆🔆🙏कालीपूजा की महानिशा और कीर्तनानन्द में श्रीरामकृष्ण / 🔆कालीपूजा की रात्रि और समाधि में श्रीरामकृष्ण-अन्तरंग पार्षदों के विषय में भविष्यवाणी🔆 

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🔆🙏 $$$$$$$ 🔆🙏 परिच्छेद~ 99 [ (19 अक्टूबर, 1884) श्रीरामकृष्ण वचनामृत ] 🔆🙏अभ्यास योग 🔆🙏 शरीर (Hand) ,मन (Head) और हृदय (Heart-अक्षरब्रह्म) विकास शिक्षा🔆🙏सींती ब्राह्मसमाज के शरदोत्सव (autumn festival) में🔆🙏 गीता के आठवें अध्याय का 'अक्षरब्रह्म योग '/ [इस प्रकरण में सगुण-निराकार परमात्मा की उपासना का वर्णन है।🔆🙏 अच्युत की चर्चा में सर्व तीर्थों का समागम🔆🙏श्रीरामकृष्ण की समाधि और महाभारत के बाद श्रीकृष्ण की अन्तिम समाधि / 🔆🙏माँ, मुझे कारणानन्द (दिव्य मद्यपान का नशा) नहीं चाहिए, मै सिद्धि पीऊँगा ! /प्रवर्तक, साधक, सिद्ध, सिद्ध का सिद्ध ।“আমি সিদ্ধি খাব” — গীতা ও অষ্টসিদ্ধি — ঈশ্বরলাভ কি? ] [“I will drink / eat Siddhi” - Gita and Ashtasiddhi /हरिकथा-प्रसंग : ब्राह्मसमाज में निराकारवाद/What is the meaning of God-realization ? ]🔆🙏 ज्ञानी और विज्ञानी 🔆🙏सगुण ईश्वर (Dynamic) और निराकार सच्चिदानन्द (Static) दोनों अभिन्न हैं / 🔆🙏भोगासक्त लोगों में ईश्वर को पाने की व्याकुलता नहीं होती / 🔆🙏इन्द्रियातीत सत्य को देखने की व्याकुलता ही ईश्वर तक पहुँचा देगी/(ব্যাকুলতা ও ঈশ্বরলাভ — দৃঢ় হও )/  🔆🙏 ब्रह्मसमाज में 'ईश्वर' को छोड़कर उनके ऐश्वर्य का इतना वर्णन क्यों ?/ 🔆🙏जगत्जननी की कृपा के बिना आत्मसाक्षात्कार नहीं होता/ The Law of Revelation, श्रुति-प्रकाश का सिद्धान्त~  শাস্ত্র না প্রত্যক্ষ ]🔆🙏🔆🙏क्या ईश्वर की कृपा किसी पर अधिक किसी पर कम होती है ?🔆🙏बिना विश्वास के किसी की बात मान लेना पाखण्ड है -पाखण्डी न बनो/ [The difference is not in kind, but in degree.]🔆🙏🔆राजा जनक जैसा  Be unattached (भ्रममुक्त या विसम्मोहित बनो) and stay in the family ] राजर्षि जनक (अनासक्त गृहस्थ) बनना है~ तो पहले निर्जन वास🔆🙏धाराप्रवाह (fluently) अंग्रेजी लिखना हो तो पहले अभ्यास करो🔆🙏केशव को शिक्षा -पुरुष के लिए स्त्री जैसे इमली का अँचार / प्रथम अवस्था में प्रतिवर्ष छः दिनों का निर्जन(=गुरुगृह) वास आवश्यक /🔆🙏[ मन रूपी दूध से ज्ञान और भक्ति रूपी मक्खन निकालो /  मन को निर्लिप्त अवस्था (de-hypnotized भ्रममुक्त अवस्था ) में रखने का उपाय🔆/ 🔆🙏अविद्या माया और विद्यामाया , दोनों को पार करने के बाद छुट्टी   🔆🙏गृहस्थ जीवन में रहकर भी ईश्वर-लाभ सम्भव है /🔆🙏 ज्ञान-भक्ति रूपी मक्खन निकालने के बाद ह्रदय में भगवान का दर्शन होता है🔆🙏ब्राह्मसमाज, [ব্রাহ্মসমাজ — কেশব ও নির্লিপ্ত সংসার — সংসারত্যাগ]/ईसाई धर्म तथा पापवाद: नाम -माहात्म्य पर विश्वास🔆🙏*आम-मुखत्यारी दे दो — गृहस्थ को अपना कर्तव्य कब तक निभाना पड़ता है ?[আমমোক্তারী দাও — গৃহস্থের কর্তব্য কতদিন?/ 🔆🙏'न दैन्यं न पलायनम ~न ढूँढ़ो , न टालो ~ आम-मुखत्यारी दे दो'🔆🙏[Neither seek nor avoid ~Give power of attorney to God!]    निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन् ॥ ३३ ॥"🔆🙏जो ईश्वर के प्रेम में मतवाले जाते हैं - उनका भार ईश्वर स्वयं ढोते हैं ! Ah! Priceless words!/আহা! আহা! কি কথা!/ 🔆🙏 गृहस्थ ज्ञानी के लक्षण ~ ईश्वर-प्राप्ति की पहचान -जीवनमुक्त के लक्षण /[সংসারে জ্ঞানীর লক্ষণ — ঈশ্ব্বরলাভের লক্ষণ — জীবন্মুক্ত 🔆🙏काली के भक्त जीवनमुक्त नित्यानंदमय हो जाते हैं/ ‘কালীর ভক্ত জীবন্মুক্ত নিত্যানন্দময়।’🔆🙏[উপায় ব্যাকুলতা — তিনি যে আপনার মা ]सिक्खों को उपदेश -विषयरस सुखाने की जिद करो - काली तुम्हारी अपनी माँ है🔆🙏'परम आत्मीय ईश्वर' ~ किस सीमा तक अपने हैं ?🔆🙏 ''All troubles come to an end when the ego dies.'अहंकार ही आवरण है' जिसके कारण सब-जज भी ईश्वर को नहीं देख पाते/अहंकार और सब-जज*অহংকার ও সদরওয়ালা/[विचार करो - अहंकार 'ज्ञान' के कारण होता है या 'अज्ञान' के कारण ?/“আমি মলে ঘুচিবে জঞ্জাল।”/🔆🙏दुर्गा -पूजा के बाद मूर्ति-विसर्जन की मरीचिका🔆🙏 सत्त्व, रज और तम देह के उपादान हैं -गुण नहीं हैं, तभी मनुष्यों में विविधता है/🔆 ब्रह्म समाज और साम्यभाव - मनुष्य का स्वभाव भिन्न-भिन्न क्यों हैं*/[ব্রাহ্মসমাজ ও সাম্য — লোক ভিন্ন প্রকৃতি /🔆🙏 Qualities and Characteristics of Leader /`मानव प्रकृति की बहुत सारी विविधताएँ (Varieties-किस्में ) हैं '   [মানব প্রকৃতির বিভিন্নতা।][Varieties of Human Nature.] 🙏🔆🙏नित्यमुक्तजीव ~विवेकानन्द, मुक्तजीव ~ नवनीदा, एवं मुमुक्षुजीव  ~ कैप्टन सेवियर 🔆🔆🙏[ओह ! ब्रह्म को भी पंचभूतों के चक्कर में फंस कर रोना पड़ता है !] ` सन्निपात (delirium-चित्तभ्रम, भेंड़त्व या ) मनोक्षेप की अवस्था~ बद्ध जीवों के लक्षण--मरने के समय भी भगवान का नाम नहीं लेते 🔆🙏अभ्यास योग 🔆विवेकदर्शन का अभ्यास-स्वामी विवेकानन्द की छवि पर प्रत्याहार -धारणा का अभ्यास) 🔆🙏*श्रीरामकृष्ण का प्रेमोन्मत्त नृत्य */ 🔆🙏एक अवर्णनीय दृश्य।/[An indescribable scene./ Steam boat 'कलवाला जहाज' को (नेता या जीवनमुक्त शिक्षक C-IN-C नवनीदा को) -अविद्या माया (illusion of ignorance) और विद्या माया - (illusion of knowledge) दोनों के पार जाना पड़ता है! ] 🔆🙏 विजय के प्रति उपदेश/[ব্রাহ্মসমাজে লেকচার — আচার্যের কার্য — ঈশ্বরই গুরু /[ब्राह्मसमाज में लेक्चर और गुरु परम्परा में प्रशिक्षित आचार्य का कार्य - ईश्वर ही गुरु हैं ।]🔆🙏🔆🙏`गुरुगिरि ' करना स्वयं के लिए हानिकारक (injurious) है / सच्चिदानंद ही भवसागर के एकमात्र गुरु ,केवट, 'नेता' हैं। -भवसागर के जहाज का मांझी (oarsman) होने का ढोंग करना, स्वयं के लिए बहुत हानिकारक (injurious) है। সচ্চিদানন্দই একমাত্র ভবসাগরের কাণ্ডারী।He alone is the Ferryman to take one across the ocean of he world./ 🔆🙏'मैं' (देहाभिमानी-अमुकजी ) लेक्चर दे रहा हूँ,' ऐसा विचार न लाना/Never cherish the attitude,'I am preaching. ‘আমি বলছি’ এ-জ্ঞান করো না।🔆🙏चन्दामामा सभी के मामा हैं-[He belongs to all, even as 'Uncle Moon' ] डाइरेक्ट 'माँ ' से आज्ञा लेकर बोलने जाओ🔆🙏 पूर्ण ज्ञान -काली ही ब्रह्म, के बाद अभेद । ईश्वर का मातृभाव । आद्याशक्ति🔆🙏ब्रह्मसमाज में भगवान का मातृभाव -'Motherhood of God'/[द्वे वाव ब्रह्मणों रूपे मूर्तं चैवामूर्तं च (बृहदारण्यकोपनिषद २. ३.१.)]🔆🙏ब्रह्म समाज और वेदांत में प्रतिपादित ब्रह्म - आद्यशक्ति🔆हरि ॐ तत्सत्🙏nabni da : Formless versus Personal Form of God : /निराकार के विपरीत ईश्वर का व्यक्तिगत रूप ~   हरि ॐ तत्सत्/  🔆🙏भक्तिमार्ग /आद्याशक्ति (Primal Energy) के दर्शन और ब्रह्मज्ञान🔆🙏[  इतना शुद्ध अर्थात निर्भीक, माँ तारा के बेटे जैसा निर्भीक मन होना चाहिए ? यदि आत्मा ही ब्रह्म है , तो आज मैं ' -देखता= हूँ कि मरता कौन है ? 🔆🙏`काली द मदर' `काली माता' शीर्षक कविता भी लिखी ~ " KALI THE MOTHER "  `Who dares misery- love, And hug the form of Death,Dance in Destruction's dance, To him the Mother comes !`साहसी, जो चाहता है ~ दुःख; मिल जाना मरण से !नाश की गति नाचता है, माँ उसीके पास आयी ।-- Swami Vivekananda🔆ज्ञानमार्ग🙏जो शक्ति (Dynamic) हैं, वे ही ब्रह्म (Static) भी हैं।🔆🙏ब्रह्म समाज में विद्वेष (envy, ईर्ष्या)🔆🙏 🔆🙏संन्यासी संचय नहीं करते - लेकिन गृहस्थ संचित धन का सदुपयोग करेंगे 🔆🙏সন্ন্যাসে সঞ্চয় করিতে নাই — শ্রীযুক্ত বেণী পালের অর্থের সদ্ব্যবহার ] 🙏'अर्थ' मनुष्य का प्रभु नहीं-दास है, वैसे ही जो 'मन' के प्रभु नहीं वे पशु के समान--- `Where the mind is without fear,  and the head is held high ' 🙏 

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 🔆🙏$$$$$ परिच्छेद~ 100 [ (20 अक्टूबर, 1884) श्रीरामकृष्ण वचनामृत ] 🔆🙏अन्नकूट -गोवर्धन पूजा के अवसर पर बड़ा बाजार, कोलकाता में श्रीरामकृष्ण 🔆🙏महामण्डल (नरसिंह, वामन,.... अवतार) के आविर्भूत होने का प्रायोजन🔆🙏[श्री रामकृष्ण की इच्छा, माँ का आशीर्वाद, स्वामीजी का उत्साह (दीवानापन-infatuation, प्रेम -भावावेग, भावातिरेक का तात्पर्य)🔆🙏Thawing of Ice (हिमद्रवण) किसे कहते हैं ? भाव किसे कहते हैं,भक्ति किसे कहते हैं, प्रेम (दीवानापन-mellowness,drunken) किसे कहते हैं ?🔆🙏 किसी को भक्ति होती है किसी को नहीं, क्यों ? ' श्रीरामकृष्ण देव हिन्दी -बंगला इंटरप्रेटर के रूप में.🔆🙏 समाधितत्त्व- नारद और शुकदेव की चेतन समाधि है 🔆🙏सांख्य दर्शन द्वारा श्रीमद्भागवत (के महारास ) को समझने की पात्रता अर्जित करो🔆🙏 अवतारी पुरुष को सब लोग नहीं पहचान पाते, तब भक्ति का उपाय क्या है ? 🔆🙏आत्मनिरीक्षण करो -संसारे मन कत आछे ? आठ आना ?🔆🙏नदी की ही तरंगें हैं, तरंगों की नदी थोड़े ही है ? (does the river belong to the waves?)🔆🙏तुम्हें यह कैसे मालूम हुआ कि, इस समय अवतार नहीं है ?🔆🙏 बड़ा बाजार का अन्नकूट-महोत्सव -श्री मोर मुकुट धारी की पूजा 🔆🙏बड़ाबाजार से राजपथ तक - 'दीवाली' का दृश्य, कांचन-बद्ध जीवों का स्वभाव 🔆🙏“और भी बढ़कर देखो - और भी बढ़कर, जीवन का सिंहावलोकन करो ।"  आरो एगिए देखो , आरो एगिए ! আরও এগিয়ে দেখ, আরও এগিয়ে!, "Go forward! Move on!" [ विवाह 6 मई , 1971 : में आटा चक्की > मलाड बॉम्बे > इंडस्ट्रियल एरिया चिंचवाड़, पूना>  दिल्ली का सदरबाजार> कोलकाता का बड़ाबाजार> राँची का जिमखाना क्लब>झुमरी तिलैया जिमखाना क्लब -16 मार्च,2022 ]🔆🙏“और भी बढ़कर देखो - और भी बढ़कर, जीवन का सिंहावलोकन करो ।"  आरो एगिए देखो , आरो एगिए ! আরও এগিয়ে দেখ, আরও এগিয়ে!, "Go forward! Move on!"  [विवाह 6 मई , 1971 : में आटा चक्की > मलाड बॉम्बे > इंडस्ट्रियल एरिया चिंचवाड़, पूना>  दिल्ली का सदरबाजार> कोलकाता का बड़ाबाजार> राँची का जिमखाना क्लब>झुमरी तिलैया जिमखाना क्लब -16 मार्च,2022 ] अपनी वर्तमान अवस्था से संतुष्ट न हों🔆🙏गुरुगिरि करने में इंट्रेस्टेड व्यक्ति एसपीटीसी में जाने का हिसाब जोड़ता है🔆🙏 हिन्दू धर्म पहले से है और सदा रहेगा भी/[हिंदू-भाव (हिन्दुत्व) ही सनातन धर्म है/ [Hinduism is a eternal religion] হিন্দুভাব (হিন্দুত্ব)  - এই সনাতন ধর্ম।

🔆🙏>>>>>>>अनुलग्नक : 'वह', जो 'नहीं' है ?##मन का विघटित होना परमेश्वर का विधान है।##प्रभु दास (नेता,जनता-जनार्दन का दास), फिर क्यों उदास ? ## कामनाशून्य ज्ञानी ?(^*):  भगवान् श्रीकृष्ण गीता 4 /8 में अर्जुन को अपने अवतार होने के  विषय में इतने विस्तार से जानकारी क्यों दे रहे हैं?##श्री दशावतार स्तुति ##श्री भृगु-संहिता (मूल)##कौन राम ? :> 👉garudajee ke saat prashn tatha kaakabhushundi ke uttar: ##प्रभु श्री राम के द्वारा `रामेश्वर महादेव ' की स्थापना:> श्रीरामचरितमानस– लंकाकाण्ड #### धर्म रूपी वृक्ष के मूल हैं- भगवान शंकर!  राम से बड़ा राम का नाम !!!:> `रमन्ते योगिनः यस्मिन् स रामः।' ####बिंदु राम का सकल पसारा । $$$$$$ barha peedam natavara vapu : [श्रीमयूर-मुकुटधारी श्री कृष्ण नाम की महिमा ^* `वेणु गीत की कथा' :`रास का  मर्म'-  श्रीकृष्ण के गुँजामाला धारण करने का रहस्य 👉 श्रीकृष्ण का शरीर ऐसा है कि देखने में लगता है कि मानो लावण्य दौड़ रहा है।बर्हापीड 👉barha peedam natavara vapu : जीव और ब्रह्म का मिलन ... महारास :-🔆🙏भारतीय धरोहर : नाद-बिन्दु (Sound -Light)^*👉उत्पत्ति का क्रम (evolution)🔆🙏:`शीक्षा '  की वैदिक दृष्टि-तैत्तरीय उपनिषद  👉मारवाड़ी -भजन :मारवाड़ और मेवाड़ 1. 👉 vivaah sanskaar : “क्यों जी, पैसा है ?"^ विवाह करोगे ?love, passion and lust : प्रेम, उन्माद और काम : हातिम ताई🔆🙏हातिम ताई की आरुरुक्ष / योगरूढ/ स्थितप्रज्ञ-दशा : 🔆🙏हातिम-ताई का यज्ञोपवीत संस्कार : [भृगुवल्ली / The Bridge-Valley/ कृष्ण-यजुर्वेद,  तैत्तिरीय उपनिषद 

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🔆🙏 🔆🙏 🔆🙏 परिच्छेद~ 101 [ (26 अक्टूबर, 1884) श्रीरामकृष्ण वचनामृत-101 ]🙏श्रीरामकृष्ण के चेहरे से माँ जगदम्बा के निश्चिन्त बालक की दिव्यता विकीर्ण होती है🙏[अद्वैत द्वार श्री रामकृष्ण दक्षिणेश्वर के कालीबाड़ी में श्रीरामकृष्ण हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं 🔆🙏🔆🙏अव्यक्त (साम्य-Undifferentiated) और व्यक्त (विविधता-Differentiated)🔆🙏श्री रामकृष्ण के सत्य की टेक और संचय में बाधा🔆🙏[শ্রীরামকৃষ্ণের সত্যে আঁট ও সঞ্চয়ে বিঘ্ন ]🔆🙏हृदय का आगमन[সেবক সন্নিকটে — হৃদয় দণ্ডায়মান]🔆🙏सेवा-धर्म और ह्रदय के व्यंगबाण🔆🙏भाव, महाभाव (ecstasy -परमानन्द की अनुभूति) का गूढ़ तत्व🔆🙏ईश्वर का अनुभव हुए बिना भाव या महाभाव नहीं होता🔆🙏अधिक देर तक भाव में रहना ठीक नहीं -लोग पागल कहेंगे🔆🙏  कर्म अथवा साधना  किये बिना ईश्वर का दर्शन नहीं होता🔆🙏किताब पढ़कर क्या समझोगे ? किसी और चीज से पहले ईश्वर-दर्शन आवश्यक 🔆🙏 [আগে বিদ্যা (জ্ঞানবিচার) — না আগে ঈশ্বরলাভ? ]नवनीदा के कैम्प (निर्जनवास) में अमजद- माँ सारदा का दर्शन होता है🔆🙏[अमजद -माँ सारदा के दर्शनों के बाद शास्त्र और साइन्स (विज्ञान) सब तिनके-जैसे][তাঁকে দর্শনের পর বই, শাস্ত্র, সায়েন্স সব খড়কুটো বোধ হয়।]🔆🙏छः दिवसीय कैम्प में जाकर चपरास प्राप्त (C-IN-C) से भेंट करो ! 🔆🙏यदि आस्तिक हो तो ईश्वर का दर्शन करने की चेष्टा क्यों नहीं करते ?🔆🙏 [ঈশ্বরকে দেখিয়ে দাও, আর উনি চুপ করে বসে থাকবেন।](Simply saying that God exists and doing nothing about it?) 🔆🙏 ईश्वर दर्शन का उपाय - व्याकुलता 🔆🙏The vision of God depends on His grace.]ईश्वर का दर्शन मिलना उनकी कृपा पर निर्भर है।)🔆🙏ईश्वर की कृपा से शुभ संयोग के मिलने पर सब काम बन जाता है 🔆🙏संन्यास तथा गृहस्थाश्रम । ईश्वर-लाभ और त्याग🔆🙏 वजन का समान वितरण तराजू के निचले काँटे (मन)  को ऊपरी काँटे (विवेक)🔆🙏क्या संसार का त्याग करना आवश्यक है-मैं जहाँ रहता हूँ, वह राम की अयोध्या है🔆🙏संसार (प्रवृत्ति) करना, संन्यास (निवृत्ति), यह सब राम की इच्छा से होता है🔆🙏 पारिवारिक जीवन में -जीवनमुक्त (ब्रह्मज्ञानी) कैसे रहता है 🔆🙏सृष्टि से लेकर अभी-तक की समस्त समस्याओं का उत्तर देंगे श्रीरामकृष्ण 🔆🙏श्री देवेन्द्रनाथ टैगोर (रवीन्द्रनाथ टैगोर के पिता) का योग और भोग🔆🙏 अहम्मन्यता की जो लकीर (streak) चित्त में पड़ जाती है वह ज्ञान से या अज्ञान से ?🙏[Streak of vanity on Chitta ] 🔆🙏 विवेक-वैराग्य-भक्ति से रहित ज्ञानी गिद्ध समान, उंचि उड़ान नजर मुर्दे पर🔆🙏 🔆🙏गीता का विभूति योग 🔆🙏🔆ब्रह्म समाज में 'असभ्यता' -गृहस्थ भक्त (राजर्षि?) कप्तान🔆🔆🙏वेदान्त के विचार से ~ जाग्रत अवस्था भी स्वप्न के जितनी सत्य है🔆🙏 श्रीरामकृष्ण का मायावाद- `तुरीय का पूरा वजन' लो !🔆🙏जबतक अहं बुद्धि है -तब तक हाथी नारायण है तो महावत भी नारायण है🔆🙏🔆🙏उत्तम भक्त सर्वत्र आत्मा का (अद्वैत का) अनुभव करता है🔆🙏 [मायावाद और विशिष्टाद्वैतवाद - ज्ञान योग और भक्ति योग]🔆🙏 ओंकार रूपी टंकार `ट - अ –अ - म्' से नित्य-लीला योग 🔆🙏[ওঁকার ও নিত্য-লীলা যোগ ]🔆🙏'तुच्छं ब्रह्मपदं, परवधूसंगः कुतः विवेक-दर्शन का अभ्यास करने से, मोक्ष (अमरपद) भी तुच्छ जान पड़ता है 🔆🙏[फतिंगा (moth) अगर एक बार उजाला देख लेता है, तो फिर अँधेरे में नहीं जाता ]🔆🙏 अवतार वरिष्ठ की भक्ति से संसारासक्ति कम होती है~ नवनीदा निर्लिप्त गृहस्थ 🔆🙏ज्ञानी कवि (ब्रह्मविद-शंकर ) और भक्त कवि (विवेकानन्द) का अन्तर🔆🙏 पत्थर की अभिलाषा : Stone Desire:तू जो तराशेगा तो पूजेगा जमाना मुझको ,रास्ते में पड़ा पत्थल हूँ उठा ले मुझको ' 🔆🙏मातृभक्ति पुत्र को आत्म-अनुशासन (discretionary knowledgeविवेकज ज्ञान) में रखती है🔆🙏 विवेकज ज्ञान हो जाने पर परिवार में रहने से भी कोई भय नहीं🔆🙏मेरी मामी अब पूर्ण स्वस्थ हैं, वे केवल थोड़ी सी बीमार हैं!🔆🙏निरुपम की लीला हाजरा (जटिला -कुटिला) को प्रणाम किये बिना पुष्ट नहीं होती 🔆🙏 चुंबक शुद्धआत्मा स्थिर है, सुई रूपी (मन की तीनों अवस्थाओं) का साक्षी है🔆🙏 सन्ध्या-संगीत और ईशान से संवाद🔆🙏ईश्वर पर विश्वास से ईश्वर की प्राप्ति - ईशान को कर्मयोग का उपदेश🔆🙏 वैधि भक्ति और राग-भक्ति, वैधी-अनुष्ठान (सन्ध्या,पुश्चरण) कब छूट जाते है?🔆🙏 🔆🙏सेवक (मणि) का विचार मंथन🔆🙏जब तक मैं यंत्र हूँ ऐसा बोध नहीं होता, विवेक-प्रयोग करना होगा🔆🙏  सनातन धर्म की वैश्विक अवधारणा ~ अंतिम विजय भक्ति की ही होती है🔆🙏 भक्ति-वेदान्त: ब्रह्म, जीव और जगत तीनों सत्य हैं- (रामानुजाचार्य)🔆🙏'हाथी नारायण-माहुत नारायण' का दृष्टांत है🔆🙏 भगवद्गीता में कुल अठारह अध्याय हैं। इन्हें तीन खंडों में संयोजित किया जा सकता  है।🔆🙏जब कुछ नहीं था—तब क्या था? 🔆🙏 ' सांख्य दर्शन का एक अध्यन ' (यथा ब्रह्माण्डे तथा पिण्डे- वि ० साहित्य ० खण्ड 4 पेज 201) : 🔆🙏 'मधुमत् पार्थिवं रजः’ ^*:– ऋग्वेद में मधुमय जीवन की प्रार्थना :


  

 





 












  










  




 [অদ্বারিত দ্বার শ্রীরামকৃষ্ণ দক্ষিণেশ্বরের কালীবাড়িতে আমাদের জন্য অপেক্ষা করছেন। (श्रीरामकृष्ण का मायावाद -जीव , जगत और ईश्वर तीनों को सत्य मानता है।) 







 
















 








   


 


 


 







   




 










  












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