Memorandum of Association and
Regulations of the Affiliated Units of
अखिल भारत विवेकानन्द युवा महामण्डल
Regulations of the Affiliated Units of
अखिल भारत विवेकानन्द युवा महामण्डल
(Registered under W.B. Act XXVI of 1961)
Registered Office:
BHUBAN-BHAVAN
P.O. Balaram Dharma Sopan
Khardah, 24-Pargnas.
WEST BENGAL
CHAPTER-1
NAME, OBJECT, AND CHARACTER
नाम, उद्देश्य, एवं स्वरुप
१. इकाई का नाम : ----------------------------(स्थान) विवेकानन्द युवा महामण्डल .
२. कार्यालय : -----------------------------------(पता)
-----------------------------------(ग्राम, पोस्ट, अंचल )
-----------------------------------(थाना, अनुमंडल)
------------------------------------(जिला, राज्य)
--------------------(पिन कोड )
३. क्षेत्र : जिस स्थान में केंद्र स्थित है, वही इस केंद्र का कार्य-क्षेत्र होगा, आवश्यकता पड़ने पर सीमा के बाहर भी कार्य कर सकता है.
४. सम्बद्धता : जिन इकाइयों को अखिल भारत विवेकानन्द युवा महामण्डल से सम्बद्धता प्राप्त हो जाएगी वे इसके आगे ' महामण्डल ' के नाम से जाने जायेंगे, तथा पंजीकृत -कार्यालय भुवन-भवन, पोस्ट- बलराम धर्म सोपान, खरदह, उत्तर,२४-परगना, प० बंगाल, का अंग माने जायेंगे. अब वे केंद्र महामण्डल-ध्वज, प्रतीक-चिन्ह, एवं महामण्डल का ' संघ-गान ' का उपयोग कर सकते हैं.
५. उद्देश्य :
(i) स्वामी विवेकानन्द के चरित्र-निर्माणकारी एवं मनुष्य-निर्माणकारी आदर्शों में समाहित स्थाई भारतीय-संस्कृति के मूल्यों का प्रचार-प्रसार विशेष रूप से युवाओं के बीच करना.
(ii) युवाओं की उर्जा को निःस्वार्थ-सेवा के माध्यम से अनुशासित एवं संयमित करके, राष्ट्र-निर्माण के कार्यों में उसका सदुपयोग करना तथा उनको अपना चरित्र-निर्माण करने के उद्देश्य से संगठित करना.
(iii) साप्ताहिक ' पाठ-चक्र ' (भ्रम-भंजक गोष्ठियों ) को आयोजित करना, शास्त्रार्थ, वाद-विवाद, सभा-सम्मलेन, वाचनालय-पुस्तकालय, शारीरिक व्यायाम, खेल-कूद, कोचिंग-क्लास, प्रार्थना-संगीत,
विभिन्न प्रशिक्षणों के लिए शिशु-विभाग स्थापित करना, प्रौढ़-शिक्षा केंद्र, दातव्य-औषधालय तथा अन्य स्वास्थ्य योजनायें, सुरक्षा-सेवा दल, पोषक-आहार दूध-फल आदि वितरण,
शैक्षणिक कार्यकर्म विद्यालय एवं विद्यार्थी निवास, प्राथमिक उपचार प्रशिक्षण एवं प्राथमिक-चिकित्सा केंद्र, संगीत-प्रशिक्षण, सेवा-केंद्र, रामकृष्ण-विवेकानन्द वेदान्त साहित्य विक्रय केंद्र.
(iv) सर्वसाधारण के लिए विशेष तौर पर युवाओं के लिए, ' कुटीर-उद्द्योग के उत्पादन का प्रशिक्षण ', ' संस्कृति का प्रोत्साहन ', ' संस्कृत-शिक्षण ' को प्रोत्सहित करने का केंद्र,
(v) पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन, दीवाल -पत्रिका आदि लेखन .
(vi) स्वामी विवेकानन्द के आदर्शों के अनुरूप जीवन-गठन करने के लिए, विविध प्रकार से युवाओं का मार्गदर्शन करना.
(vii) सभी प्रकार की संकीर्ण-दलबन्दी एवं राजनीती से दूर रहते हुए, राष्ट्रीय-एकता को अक्षुण रखने के लिए कार्य करना.
CHAPTER -II
REGULATIONS (नियम-अधिनियम)
१. सदस्यता :
(क) सभी सदस्य निर्धारित प्रवेश-शुल्क अदा करने के बाद सदस्यता ग्रहण करेंगे, तथा वार्षिक या मासिक चन्दा भी देंगे.
(ख) केंद्र के अभियान में मदत करने के लिए कोई सदस्य यदि अतिरिक्त चन्दा या दान देना चाहें तो उसे कृतज्ञता पूर्वक स्वीकार किया जायेगा.
(ग) जिस किसी व्यक्ति में महामण्डल के आदर्श और उद्देश्य के प्रति निष्ठा है, उनको कार्यकारिणी समिति से स्वीकृति लेने के बाद ' मानद-सदस्यता ' दी जा सकती है.वैसे सदस्य को कोई भी शुल्क या चन्दा देने से छूट प्राप्त होगी.
(घ) जो व्यक्ति संस्था के उद्देश्य को प्रोत्साहित करने के लिए, विशेष-धन अथवा जमीन दान में देंगे, उनको कार्यकारिणी समिति केंद्र का ' संरक्षक ' बना सकती है.
२. सदस्य बनने की योग्यता :
जो भी व्यक्ति महामण्डल केंद्र का सदस्य बनना चाहता हो, उसे स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं एवं महामण्डल के प्रति, सच्ची-निष्ठा अवश्य रहनी चाहिए.
उसमे कोई पद-लोलुपता, नाम-यश पाने का अथवा कोई विशेष- अधिकार प्राप्त करने, या किसी अन्य प्रकार का लाभ उठाने की ललक नहीं रहनी चाहिए.
उसे भारत की सांस्कृतिक-विरासत को सम्मान देना होगा तथा केंद्र के नियमों को स्वीकार करना होगा. उसे धर्म, जाती या संप्रदाय के नाम पर किसी भी प्रकार के भेद-भाव में संलिप्त नहीं रहना होगा,
महामण्डल का सदस्य किसी भी राजनितिक- दल के साथ संयुक्त नहीं होगा.
उसमे कोई पद-लोलुपता, नाम-यश पाने का अथवा कोई विशेष- अधिकार प्राप्त करने, या किसी अन्य प्रकार का लाभ उठाने की ललक नहीं रहनी चाहिए.
उसे भारत की सांस्कृतिक-विरासत को सम्मान देना होगा तथा केंद्र के नियमों को स्वीकार करना होगा. उसे धर्म, जाती या संप्रदाय के नाम पर किसी भी प्रकार के भेद-भाव में संलिप्त नहीं रहना होगा,
महामण्डल का सदस्य किसी भी राजनितिक- दल के साथ संयुक्त नहीं होगा.
३. सदस्य बनने की अयोग्यता :
जो भी व्यक्ति कंडिका २ में दिए शर्तों का अनुपालन नहीं करेगा, उसे महामण्डल का सदस्य अथवा पदाधिकारी बनने के अयोग्य समझा जायेगा. या कोई व्यक्ति यदि विगत ५ वर्षों में घोषित तौर पर दिवालिया, पागल, या सजा-याफ्ता मुजरिम होगा या किसी प्रकार के नैतिक-भ्रष्टता में संलिप्त रहा है, तो उसे भी सदस्य बनने के अयोग्य माना जायेगा.
४. सदस्यता प्रदान करने की प्रक्रिया :
जो व्यक्ति सदस्यता ग्रहण करना चाहेगा उसे एक सादे कागज पर या केंद्र के निर्धारित प्रपत्र में केंद्र के सचिव को अपना आवेदन देगा. यदि उसने केंद्र के आदर्श और उद्देश्य में तथा उसके कार्यक्रमों में रूचि दिखाई है, उस व्यक्ति में सदस्य बनने की योग्यता है, और वह व्यक्ति निश्चित रूप से किसी राजनितिक दल का सदस्य नहीं है, यदि कार्यकारिणी समिति इन विषयों में संतुष्ट हो जाती हो, तब समिति उस व्यक्ति को महामण्डल की सदस्यता प्रदान कर देगी.
५. सदस्यों का उत्तरदायित्व :
सभी सदस्यों का यह पुनीत-कर्त्तव्य होगा कि वह, केंद्र को उसका उद्देश्य-पूर्ण करने में, इसके समस्त कार्यक्रमों को सफलता पूर्वक संचालित करने में, समस्त योजनाओं को क्रियान्वित करने में हर प्रकार (तन-मन-धन) से सहायता करेगा, तथा महामण्डल के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में सदैव तत्पर रहे.
६. सदस्यों के अधिकार एवं विशेषाधिकार :
सभी सदस्यों को यह अधिकार होगा कि वह केंद्र के समस्त कार्यक्रमों में भाग ले, तथा केंद्र के कार्यकारिणी समिति का चुनाव करने में अपना मतदान का प्रयोग कर सके. किसी भी संरक्षक-सदस्य तथा मानद-सदस्य को पदाधिकारियों के निर्वाचन में मतदान करने का अधिकार नहीं होगा, और न उन्हें किसी पद के लिए निर्वाचित किया जायेगा.
७. सदस्यता को रद्द करने की प्रक्रिया :
यदि कोई सदस्य एक वर्ष से ज्यादा समय से सदस्यता -शुल्क का भुगतान नहीं कर रहा हो, बिना उचित कारण के लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित रहे, इकाई अथवा महामण्डल के उद्देश्य को हानी पहुँचाने वाले गतिविधियों में संलिप्त रहता हो, या इन तीन कारणों में से कोई भी एक अयोग्यता हो, तो कार्यकारिणी-समिति उस व्यक्ति की सदस्यता को समाप्त कर सकती है.कार्यकारिणी समिति द्वारा लिए गए इस प्रकार के किसी निर्णय के विरुद्ध अपील केवल ' साधारण-सभा ' में की जा सकती है.
८. अविश्वास-प्रस्ताव :
कार्यकारिणी-समिति या किसी पदाधिकारी के विरुद्ध जब केंद्र के कम से कम एक तिहाई वैसे सदस्य जिन्हें मतदान करने का अधिकार प्राप्त है, कोई भी अविश्वास-प्रस्ताव लाना चाहें तो सचिव के लिए यह बाध्यता रहेगी कि वह अपने इकाई के विशेष-रूप से बुलाई गयी ' साधारण-सभा ' के समक्ष उस प्रस्ताव को विचारार्थ रखे, तथा साधारण सभा में उपस्थित दो-तिहाई सदस्य यदि इस प्रकार के किसी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दें तो उसे पारित करे.
९. सदस्यता से त्यागपत्र :
(क) त्यागपत्र के आवेदनों पर निर्णय कार्यकारिणी की बैठक में ही लिया जा सकेगा.
(ख) यदि इकाई के किसी सदस्य के निष्कासन या त्यागपत्र के ऊपर कोई विवाद हो तो उस विषय में महामण्डल के निर्णय को अंतिम माना जायेगा.
(ग) जब किसी इकाई की नयी-कार्यकारिणी का निर्वाचन सम्पन्न हो जाये,अथवा नियमानुसार जैसे ही कोई नयी समिति गठित या पुनर्गठित हो जाए, तत्काल-प्रभाव से पूर्ववर्ती समिति को भंग मान लिया जायेगा, भले ही उस समिति के सदस्य या पदाधिकारी लिखित में त्यागपत्र दिए हों या नहीं.
CHAPTER-III
MANAGEMENT (प्रबन्धक-तंत्र )
१. कार्यकारिणी समिति :
(क) वार्षिक आम सभा में सबसे पहले, अधिक से अधिक ११ सदस्यों को कार्यकारिणी समिति के लिए निर्वाचित किया जायेगा, तथा इस केंद्र के समस्त कार्यक्रमों को संचालित करने की सारी जिम्मेवारी, उन्हीं कार्यकारिणी समिति के सदस्यों के ऊपर होगी.कार्यकारिणी समिति के सदस्य निम्नलिखित पदाधिकारियों का चयन करेंगे.अध्यक्ष-१, उपाध्यक्ष - १ या २, सचिव-१,सहायक सचिव-१,कोषनायक-१
(ख) कार्यकारिणी समिति का गठन प्रत्येक वर्ष ' वार्षिक आम सभा ' में किया जायेगा. यदि सर्व सम्मति से समिति का गठन सम्भव न हो सके, केवल उसी परिस्थिति में सदस्य लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करके कार्यकारिणी समिति को निर्वाचित करेंगे.
(ग) चुनाव होने के उपरान्त समिति के सदस्य एवं पदाधिकारियों की सूचि उसके अनुमोदन के लिए अध्यक्ष तथा सचिव के संयुक्त-हस्ताक्षर के साथ महामण्डल को भेज दी जाएगी.
२. कार्यकारिणी समिति का कार्यकाल:
(क) निर्वाचन तिथि से एक वर्ष तक समिति अपना कार्य-निर्वहन करेगी. विशेष परिस्थिति में महामण्डल की अनुमति से यह अगले छः महीने तक यह समिति क्रियाशील रह सकती है.
(ख) कार्यकारिणी समिति अपने कार्यकाल के दौरान किसी रिक्त पद पर दुसरे किसी सदस्य को मनोनीत कर सकती है, एवं उस परिवर्तन को अनुमोदन के लिए महामण्डल में भेजना होगा.
३. कार्यकारिणी समिति का कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व :
(i ) कार्यकारिणी समिति अपने इकाई के कार्यक्रमों को संचालित करेगी, तथा साधारण सभा के प्रति नैतिक रूप से उत्तरदायी रहेगी.
(ii) कोष संग्रह करेगी तथा आय-व्यय को नियन्त्रित करेगी.
(iii) इसे अपने क्रियाकलापों को संचालित करने के लिए किसी कर्मचारी को नियुक्त करने या हटाने का अधिकार होगा, उस कर्चारी के कर्तव्य एवं वेतन तय करने का भी अधिकार होगा.
(iv) अपनी आवश्यकता के अनुसार उप-नियम और कायदा-कानून बना सकती है, एवं उसके अनुमोदन के लिए महामण्डल के पास भेज सकती है. ये नियम-उपनियम महामण्डल द्वारा अनुमोदित होने के बाद ही लागु होंगे.
(v) यह समिति प्रत्येक वर्ष के लिए आय-व्यय का लक्ष्य (बजट) निर्धारित करेगी.
(vi) यह समिति केंद्र के प्रत्येक विभागों का निरिक्षण करेगी.
(vii ) आवश्यकता पड़ने पर विशेष योजना के लिए 'उप-समिति ' का गठन करगी.
(viii) इसको किसी सदस्य को फटकार लगाने या दण्ड देने का अधिकार होगा तथा किसी नए आवेदन कर्ता को सदस्यता प्रदान करने का भी अधिकार होगा.
(ix) सचिव के द्वारा विचारार्थ प्रस्तुत समस्त चालू-खाता या बचत-खाता की जाँच-पड़ताल कर सकती है.
(x) यह समिति सदस्यता-पंजी बनाएगी, जिस में सदस्य का नाम, पता, व्यवसाय, फोन नम्बर, सदस्यता स्वीकार की तिथि, सदस्यता समाप्ति की तिथि आदि का उल्लेख रहेगा. किसी भी सदस्य द्वारा मांगने पर सचिव उस पंजी को देखने की अनुमति देगा.
४. अध्यक्ष के अधिकार एवं उत्तरदायित्व :
(i) अध्यक्ष इकाई के समस्त शासकीय बैठकों की अध्यक्षता करेगा.
(ii) बैठक के दौरान अनुशासन बनाये रखेगा.
(iii) नियम-काएदा के अनुसार आवश्यक कागजों पर हस्ताक्षर करेगा.
(iv) अध्यक्ष को मतदान करने का अधिकार होगा, किन्तु अध्यक्ष वैसे किसी बैठक की अध्यक्षता नहीं कर सकता जिसमे उसीके विरुद्ध कोई प्रस्ताव लाया गया हो.
(v) किसी अत्यन्त महत्वपूर्ण समस्या पर अध्यक्ष द्वारा लिया गया निर्णय अन्तिम माना जायेगा.
५. उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी :
(i) प्रत्येक मामले में उपाध्यक्ष अध्यक्ष की सहायता करेगा.
(ii) अध्यक्ष की अनुपस्थिति में बैठकों का संचालन करेगा.
६. सचिव की जिम्मेवारी :
(i) सचिव केंद्र के समस्त गतिविधियों का प्रबन्ध तथा देखभाल करेगा .
(ii) महामण्डल, सभी उप-समितियों, तथा इकाई के सभी सदस्यों के साथ सम्पर्क बनाये रखेगा, तथा केंद्र की गतिविधियों के ऊपर नियमानुसार रिपोर्ट भेजता रहेगा.
(iii) केंद्र के कार्यालय का संचालन एवं निर्वहन करेगा तथा इकाई की समस्त चल-अचल संपत्तियों की देखरेख का जिम्मेवार होगा.
(iv) समस्त बैठकों को आयोजित करेगा, तथा इकाई के समस्त कार्यक्रमों एवं समारोहों आदि के लिए उत्तरदायी होगा.
(v) सचिव ही होने वाली बैठकों, सम्मेलनों आदि के विचार की विषय-वस्तु (एजेंडा) की कार्यसूची तैयार करेगा, तथा करवाई-पुस्तिका में केंद्र की गतिविधियों, आम राय से पारित प्रस्ताव आदि के लखित-विवरण(मिनट्स ) को रजिस्टर में यथार्ततः दर्ज करेगा.
(vi) केंद्र के सभी विभागों के आय-व्यय के हिसाब को कोषनायक (ट्रेजरर) की सहायता से देखरेख करेगा. सचिव सभी तरह की प्राप्त राशी के लिए के लिए अपने हस्ताक्षर से यथायोग्य रसीद जारी करेगा.
(vii) अपने केंद्र के अध्यक्ष एवं कार्यकारिणी के निर्देशों तथा नियम-कानून का पालन करेगा.
(viii) सचिव को १०००/= तक की राशी को स्व-विवेक से खर्च करने का अधिकार होगा, इससे अधिक राशी का भुगतान करना हो तो उसे कार्यकारिणी समिति से पूर्वानुमति लेनी होगी.
(ix) वह १०००/= से अधिक राशी सामान्य नियमित खर्च के लिए नकदी के रूप में अपने पास नहीं रखेगा.
(x) सभी प्रकार के डाक-खातों या बैंक-खातों में संचित राशी को कार्यकारिणी समिति द्वारा मनोनीत किसी दूसरे सदस्य के साथ संयुक्त रूप में हस्ताक्षर करके ही निकालने का अधिकारी होगा.
(xi) जब और जहाँ न्यालय में जाने की आवश्यकता पड़ेगी तो सचिव ही अपनी इकाई का प्रतिनिधित्व करेगा.
(xii) महामण्डल के ध्वज, प्रतिक-चिन्ह, तथा इकाई के समस्त मुहर एवं रबड़ की मुहर आदि को अपने संरक्षण में रखेगा तथा आवश्यकतानुसार उनको प्रयोग में लायेगा.
(xiii) इकाई के वार्षिक साधारण बैठक में समस्त गतिविधियों के ऊपर सचिव का प्रतिवेदन एवं आय-व्यय का खाता को जाँच के लिए कार्यकारिणी के समक्ष प्रस्तुत करेगा.
(xiv) केंद्र के समस्त विभागों की गतिविधिओं के लिए कार्यकारिणी समिति के समक्ष जवाबदेह होगा, तथा किसी भी सदस्य के अनुशासनहीनता के विरुद्ध अनुकूल कार्यवाही का विशेषाधिकार सचिव का होगा.
(xv) विशेष परिस्थिति में सचिव किसी भी बाहरी व्यक्ति को किसी भी बैठक में उपस्थित रहने के लिए आमंत्रित कर सकता है.
(xvi) कुल सदस्यों के एकतिहाई संख्या से अनुरोध मिलने पर, सचिव को किसी भी प्रस्ताव पर विचार-विमर्श करने के लिए विशेष-बैठक बुलाना होगा.
(xvii) किसी भी सदस्य के द्वारा या किसी बाहरी व्यक्ति के द्वारा गबन या समरसता-भंग करने पर, केंद्र के हित को ध्यान में रख कर उसकी तरफ से न्यालय में मुकदमा कायम करने का अधिकार सचिव को होगा.
७. सहायक सचिव की जवाबदेही :
सहायक सचिव केंद्र के सचिव को सभी कार्यों में सहायता करेगा, तथा सचिव की अनुपस्थिति में उसके निर्देशों के अनुसार सचिव के समस्त कर्तव्यों का अनुपालन करेगा.
८. कोषनायक की जवाबदेही :
(i) सचिव की तरफ से कोषनायक सभी प्रकार के चन्दों, दान, अनुदान, को स्वीकार करेगा बैंक में संचित राशी आदि का सही ढंग से हिसाब-किताब रखेगा.
(ii) सचिव के प्रतिनिधि के रूप में रोकड़-बही, लेखा-बही आदि समस्त खातों का हिसाब-किताब रखेगा तथा समेकित (कोन्सोलीडेटेड) वार्षिक आय-व्यय का व्यवरा एवं तुलन-पत्र (बैलेंसशीट) तैयार करके उसे किसी लेखा-परीक्षक (ऑडिटर) के द्वारा हिसाब की जाँच करवा लेगा.
(iii) किसी भी समय में १०००/= से अधिक राशी नकदी के रूप में अपने पास नहीं रखेगा.
CHAPTER-IV
MEETINGS (बैठक-अधिवेशन)
१. सचिव समस्त बैठकों को आयोजित करेगा. सचिव की अनुपस्थिति में सहायक-सचिव इस प्रकार की बैठकों को आयोजित करेगा. उप-समितियों के संयोजक भी सचिव की सहमती से उप-समिति की बैठकों को आयोजित कर सकता है.
२. किसी भी बैठक के लिए एकतिहाई सदस्यों की उपस्थिति निर्दिष्ट संख्या
( कोरम ) मानी जायगी.
( कोरम ) मानी जायगी.
३. प्रति वर्ष कम से कम कार्यकारिणी समिति की ६-बैठकें एवं साधारण-सभा की एक बैठक को आयोजित करना अनिवार्य होगा.
४. सभी तरह के प्रस्तावों पर इन बैठकों में विस्तार से चर्चा होगी एवं यदि आवश्यक हुआ तो मंजूर की हुई राय (संकल्प) को बहुमत से पारित किया जायेगा. किन्तु जहाँ तक सम्भव हो सभी निर्णयों को सर्वसम्मति से पारित करने की चेष्टा की जाएगी.
5. GENERAL MEETING (आम-सभा )
(i) कम से कम एक आम-सभा प्रत्येक वर्ष आयोजित की जाएगी, सभी सदस्यों को इसकी सुचना १५ दिन पहले ही दे दी जाएगी.
(ii) यदि आवश्यक हुआ तो कार्यकारिणी समिति की सहमती से विशेष आम-सभा बुलाई जा सकती है, तथा आवश्यकतानुसार मात्र ७ दिनों की सुचना के बाद इस अधिवेशन को आयोजित किया जा सकता है.
(iii) विगत वार्षिक आमसभा की बैठक की तिथि से १५ महीनों के भीतर वार्षिक आमसभा (AGM ) की बैठक अवश्य आयोजित हो जानी चाहिए. महामण्डल से अनुमति प्राप्त किये बिना किसी भी हाल में इस समय-सीमा का उलंघन नहीं हो सकता है.
वार्षिक आम सभा में केंद्र की गतिविधियों के ऊपर सचिव का वार्षिक-प्रतिवेदन, लेखा-परीक्षक द्वारा विगत वर्ष का अंकेक्षित विवरण एवं वर्तमान-वर्ष के आय-व्यय का लेखा (बजट) को सभा के सामने रखा जायेगा.
वार्षिक आमसभा में एक नयी कार्यकारिणी समिति को निर्वाचित किया जायेगा, एवं एक लेखा-परीक्षक को नियुक्त किया जायेगा.
सामान्यतया यह वार्षिक-आम-सभा (AGM) वित्तीय-वर्ष समाप्त हो जाने के एक महीने के भीतर ही हो जानी चाहिए.
वार्षिक आम सभा में केंद्र की गतिविधियों के ऊपर सचिव का वार्षिक-प्रतिवेदन, लेखा-परीक्षक द्वारा विगत वर्ष का अंकेक्षित विवरण एवं वर्तमान-वर्ष के आय-व्यय का लेखा (बजट) को सभा के सामने रखा जायेगा.
वार्षिक आमसभा में एक नयी कार्यकारिणी समिति को निर्वाचित किया जायेगा, एवं एक लेखा-परीक्षक को नियुक्त किया जायेगा.
सामान्यतया यह वार्षिक-आम-सभा (AGM) वित्तीय-वर्ष समाप्त हो जाने के एक महीने के भीतर ही हो जानी चाहिए.
6. EXECUTIVE COMMITTEE MEETINGS(कार्यकारिणी समिति की बैठक )
कार्यकारिणी समिति की बैठक को न्यूनतम ३ दिनों की नोटिस पर आयोजित किया जा सकता है. तथा आकस्मिक-बैठक को १ दिन की नोटिस पर भी आयोजित किया जा सकता है.
CHAPTER-V
FINANCIAL MATTERS ( वित्तीय-विषयवस्तु )
केंद्र के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए अपने सदस्यों से चन्दा तथा प्रवेश-शुल्क लेने के आलावा, केंद्र के उद्देश्यों को पूरा करने तथा कार्य को आगे बढ़ने के लिए विभिन्न श्रोतों से चन्दा उगाही करके या उधार लेकर धन एकत्र करने की कार्यकारिणी समिति को छूट रहेगी.
किसी व्यक्ति, या निगम एवं सरकार से नकदी या वस्तु के रूप में दिया गया दान तभी स्वीकार किया जायेगा, जब वे महामण्डल के आदर्श और उद्देश्य को जानकर बिना किसी शर्त के दान देंगे.
यदि अनुदान के लिए किसी कानून या विधान की बाध्यता होगी तभी उसके नियमों को स्वीकार किया जा सकेगा.
किसी भी प्रकार की नकदी या वस्तु के रूप में प्राप्त अनुदान के लिए उचित रशीद दिया जायेगा.
कार्यकारिणी समिति के के निर्णय के अनुसार ही बैंक खातों से धन की निकासी की जा सकती है.
सभी प्रकार के वित्त से सबंधित विषयों को सचिव अपने कोषनायक की मदत से देखभाल करेगा.
किसी व्यक्ति, या निगम एवं सरकार से नकदी या वस्तु के रूप में दिया गया दान तभी स्वीकार किया जायेगा, जब वे महामण्डल के आदर्श और उद्देश्य को जानकर बिना किसी शर्त के दान देंगे.
यदि अनुदान के लिए किसी कानून या विधान की बाध्यता होगी तभी उसके नियमों को स्वीकार किया जा सकेगा.
किसी भी प्रकार की नकदी या वस्तु के रूप में प्राप्त अनुदान के लिए उचित रशीद दिया जायेगा.
कार्यकारिणी समिति के के निर्णय के अनुसार ही बैंक खातों से धन की निकासी की जा सकती है.
सभी प्रकार के वित्त से सबंधित विषयों को सचिव अपने कोषनायक की मदत से देखभाल करेगा.
CHAPTER-VI
RELATION WITH THE MAHAMANDAL (THE CENTRAL ORGANIZATION)
केंद्रीय-संगठन अर्थात महामण्डल के साथ केंद्र का आपसी सम्बन्ध
१. केंद्र महामण्डल के प्रति पूर्ण निष्ठा रखेगा तथा समस्त वर्तमान नियम-कानून एवं केंद्र के समस्त निर्देशों का पालन करेगा.
२. महामण्डल के अधिवेशनों में केंद्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए, तथा महामण्डल के साथ सम्पर्क बनाय के उद्देश्य से, कार्यकारिणी समिति किसी सदस्य को महामण्डल की स्वीकृति लेकर स्थायी-प्रतिनिधि के रूप में मनोनीत करेगी. स्थायी प्रतिनिधि को अनिवार्य रूप से महामण्डल का सदस्य होना चाहिए. यदि वह कार्यकारिणी समिति का सदस्य या सचिव न भी हो तो उसे कार्यकारिणी समिति के समस्त बैठकों में उपस्थित रहने के लिए अनिवार्य रूप से आमन्त्रित किया जायेगा. महामण्डल से अनुमोदन कराने के बाद ही कार्यकारिणी समिति स्थायी-प्रतिनिधि को बदल सकती है.
३. यदि केंद्र के सामने कोई समस्या खड़ी हो जाये तो उसका समाधान कराने के लिए महामण्डल से निर्देश माँगा जायेगा. केंद्र के प्रशासन को चलाने के लिए नियमों की जो व्याख्या (अर्थ) महामण्डल देगा उसीको अंतिम माना जायेगा.
४. किसी भी सम्पत्ति जमीन-जायदाद को दान में, या नकद भुगतान देकर अर्जित करने के पहले महामण्डल से उसकी पूर्वानुमति प्राप्त करना आवश्यक है. उसी प्रकार कोई नयी योजना का प्रारम्भ करने या सरकार अथवा बैंक या अन्य किसी भी संस्था से कोई ऋण या अनुदान स्वीकार करने के पहले भी महामण्डल की पूर्वानुमति लेना आवश्यक है.
५. केंद्रीय संगठन अर्थात महामण्डल को किसी भी केंद्र के खाता-बही, करवाई-पुस्तिका के विवरण आदि का निरिक्षण करने का अधिकार होगा. तथा विशेष परिस्थिति में केंद्र के प्रबन्धन को अपने आधीन ले सकती है, या उसके प्रबन्धन में परिवर्तन लाने का निर्देश दे सकती है.
महामण्डल को यदि ऐसा प्रतीत हो कि कोई केंद्र अपनी निष्क्रियता या महामण्डल के आदर्श और उद्देश्य को हानी पहुँचाने वाले कार्यों में संलग्न है, तो महामण्डल को यह अधिकार होगा कि वह उस केंद्र को असम्बद्ध करके महामण्डल के ज्ञापन-पत्र में लिखे नियम-कानून के अन्तर्गत उस केंद्र को विवेकानन्द युवा महामण्डल के रूप में कार्य करने कि मान्यता को रद्द कर दे.
महामण्डल को यदि ऐसा प्रतीत हो कि कोई केंद्र अपनी निष्क्रियता या महामण्डल के आदर्श और उद्देश्य को हानी पहुँचाने वाले कार्यों में संलग्न है, तो महामण्डल को यह अधिकार होगा कि वह उस केंद्र को असम्बद्ध करके महामण्डल के ज्ञापन-पत्र में लिखे नियम-कानून के अन्तर्गत उस केंद्र को विवेकानन्द युवा महामण्डल के रूप में कार्य करने कि मान्यता को रद्द कर दे.
६. केंद्र अपने आसपास में स्थित सभी केन्द्रों की हरसम्भव मदत करेगा.
७. केंद्र अपने क्षेत्र में या आस-पास के क्षेत्रों में, जहाँ कहीं भी अतिरिक्त इकाई स्थापित होने की सम्भावना हो, वहां केंद्रीय-संगठन से पूर्वानुमति प्राप्त करके महामण्डल के कार्यों को फ़ैलाने की चेष्टा करेगा.जब महामण्डल इस प्रकार के नयी इकाइयों को सम्बद्धता प्राप्त करने योग्य समझेगा तब उन्हें अपने साथ सम्बद्ध कर लेगा.
CHAPTER-VII
AMENDMENT OF MEMORANDUM AND REGULATIONS
ज्ञापन-पत्र एवं नियमों का संशोधन
किसी केंद्र के नियमों में संशोधन महामण्डल द्वारा अनुमोदित कराने के लिए उस केंद्र कुल सदस्यों की संख्या के तीन-चौथाई बहुमत के आधार पर किया जा सकता है. कोई भी नियम जोड़ने, हटाने, या परिवर्तित करने के लिए केंद्र को महामण्डल से पूर्वानुमति प्राप्त करनी होगी. महामण्डल द्वारा किया गया कोई भी संशोधन तत्काल प्रभाव से लागु माना जायेगा.
CHAPTER-VIII
BYE-LAWS
उप-नियम
महामण्डल से अनुमोदन प्राप्त करके कार्यकारिणी समिति को केंद्र के गतिविधियों को निर्बिघ्न चलाने के लिए, नए उपनियम बनाने, परिवर्तित करने, रद्द करने का अधिकार होगा. ये उपनियम तभी से प्रभावी होंगे जब महामण्डल उनका अनुमोदन कर देगा.
CHAPTER-IX
DISSOLUTION
विघटन
यदि किसी केंद्र को विघटित कर देना बहुत आवश्यक प्रतीत होता है, तो उस केंद्र के समस्त दावों एवं देनदारियों का भुगतान करने के बाद, शेष बचे चल-अचल सम्पत्ति को सदस्यों के बिच वितिरित या हस्तान्तरित नहीं किया जा सकेगा, समिति को उसे महामण्डल को सौंप देना होगा.
इतनी कार्यवाई के बाद केंद्र के समूर्ण सदस्य-संख्या के तीन-चौथाई बहुमत के आधार पर केंद्र को विघटित कर दिया जायेगा, किन्तु इस प्रकार की कार्यवाई करने के पहले महामण्डल को समस्त तथ्यों से अवगत कराना होगा, तथा उनकी अनुमति प्राप्त करनी होगी.
इतनी कार्यवाई के बाद केंद्र के समूर्ण सदस्य-संख्या के तीन-चौथाई बहुमत के आधार पर केंद्र को विघटित कर दिया जायेगा, किन्तु इस प्रकार की कार्यवाई करने के पहले महामण्डल को समस्त तथ्यों से अवगत कराना होगा, तथा उनकी अनुमति प्राप्त करनी होगी.
MISCELLANEOUS
विविध-फुटकर
केंद्र का वित्तीय वर्ष १अप्रिल से अगले वर्ष के ३१ मार्च तक होगा. केंद्र के लेखा-पुस्तिकाओं को वर्ष के अंत में किसी योग्यता-प्राप्त लेखा-निरीक्षक(ऑडिटर) से अंकेक्षित (औडिट) करवाना होगा.
प्रत्येक सदस्य को लेखा-पुस्तिका एवं लेखा-परीक्षा विवरण को देखने का अधिकार होगा.
वार्षिक-आमसभा में वार्षिक-प्रतिवेदन, एवं अंकेक्षित-लेखा विवरण के प्रमाणिक प्रतियों को पारित करवाने के बाद बैठक की तिथि से १५ दिनों के भीतर महामण्डल के पास भेज देना होगा.
प्रत्येक सदस्य को लेखा-पुस्तिका एवं लेखा-परीक्षा विवरण को देखने का अधिकार होगा.
वार्षिक-आमसभा में वार्षिक-प्रतिवेदन, एवं अंकेक्षित-लेखा विवरण के प्रमाणिक प्रतियों को पारित करवाने के बाद बैठक की तिथि से १५ दिनों के भीतर महामण्डल के पास भेज देना होगा.
ANTHEM OF THE MAHAMANDAL
महामण्डल-गान
महामंडल का संघ-मंत्र
संगच्ध्वं संग्वदध्वं संग वो मनांसि जानताम् ।
देवा भागं यथा पूर्वे संजानाना उपासते ।।
समानो मन्त्रः समितिः समानी ।
समानं मनः सः चित्त्मेषाम ।।
समानं मन्त्रः अभिम्न्त्रये वः ।
समानेन वो हविषा जुहोमि ।।
समानी व् आकुतिः समाना हृदयानि वः ।
समानमस्तु वो मनो यथा वः सुसहासति ।।
(ऋग्वेद :१०/१९१/२-४ )
हिन्दी भावानुवाद
एक साथ चलेंगे ,एक बात कहेंगे । हम सबके मन को एक भाव से भरेंगे ।
देव गण जैसे बाँट हवि लेते हैं | हम सब सब कुछ बाँट कर ही लेंगे ।।
याचना हमारी हो एक अंतःकरण एक हो| हमारे विचार में सब जीव एक हैं!
एक्य विचार के मन्त्र को गा कर| देवगण तुम्हें हम आहुति प्रदान करेंगे ||
हमारे संकल्प समान, ह्रदय भी समान, भावनाओं को एक करके परम ऐक्य पायेंगे |
एक साथ चलेंगे, एक बात कहेंगे.......
"हम अपने सारे निर्णय एक मन हो कर ही करेंगे ,क्योंकि देवता लोग एक मन रहने के कारण ही असुरों पर विजय प्राप्त कर सके थे । अर्थात एक मन बन जाना ही समाज-गठन का रहस्य है ......"
( - Translated by Sri Ajay agarwal on 20/4/2012)
' English Translation of संगचछ्ध्व्म '
Let us move together
Let us speak in harmony,
Let our minds think in unison,
As Gods share with one another,
We too shall care to share,
Let us pray in consistency,
Let our hearts be in uniformity,
Let us be one with infinity,
Let us chant in unison,
Let us act in unison,
Let that unison be our prayer.
We'll unify our heart, feelings and determination,
To realise and to be - One with All !
Let us move together,
Let us speak in harmony.
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Let our minds think in unison,
As Gods share with one another,
We too shall care to share,
Let us pray in consistency,
Let our hearts be in uniformity,
Let us be one with infinity,
Let us chant in unison,
Let us act in unison,
Let that unison be our prayer.
We'll unify our heart, feelings and determination,
To realise and to be - One with All !
Let us move together,
Let us speak in harmony.
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( - Translated by Sri Ajay agarwal on 20/4/2012)
1 BE UNITED; SPEAK IN HARMONY; LET YOUR MINDS BE ALL OF ONE ACCORD; FOR THE DAYS OF YORE; THE GOD'S BEING OF ONE MINDED WERE ENABLED TO RECEIVE OBLATIONS.
2. COMMON BE YOUR PRAYERS; COMMON BE YOUR ASSEMBLY; COMMON BE YOUR INTENTION; COMMON BE YOUR DELIBERATION; A COMMON PURPOSE DO I LAY BEFORE YOU; AND WORSHIP WITH YOUR GENERAL OBLATION.
3. COMMON BE YOUR DESIRES; UNITED BE YOUR HEARTS; UNITED BE YOUR INTENTIONS; PERFECT BE THE UNION AMONGST YOU.
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