हम अपने उन सभी युवा भाइयों, जो स्वामी विवेकानन्द के नेतृत्व में, मानव जाती के प्रति उनके द्वारा प्रदत्त अमर-संदेष में, तथा आत्मा को झंकिर्त कर देने वाले उनके ' राष्ट्र को आह्वान ' में आस्था रखते हों; से अपील करते हैं कि वे आगे आयें और " महामण्डल " के सदस्य बनें, एवं समाचार पत्रों में अपना नाम छपा देखने के पाखण्ड से ऊपर उठ कर, नीरवता से चुप-चाप, मनुष्य-निर्माणकारी एवं चरित्र-गठनकारी शिक्षा के माध्यम से एक अग्रदूत ( जैसे श्रीरामकृष्ण ने नरेन्द्रनाथ को केवल मनुष्य नहीं, बल्कि मनुष्य-निर्माण करने में समर्थ मनुष्य या 'अग्रदूत ' स्वामी विवेकानन्द बनाया था ) के साँचे में स्वयं के जीवन को ढाल लेने के कार्य में जुट जाएँ; क्योंकि मनुष्य जाति में परिव्याप्त समस्त प्रकार कि बुराइयों के लिए यही एकमात्र रामबाण-दवा है,यही सर्व रोग निवारक औषधि है !इस दिशा में अभिरुचि रखने वाला कोई भी व्यक्ति, संस्थान, संघ या संगठन हमारे निम्नलिखित पंजीकृत- कार्यालय के पते पर सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं.
Secretary,
AKHIL BHARAT VIVEKANANDA YUVA MAHAMANDAL
AKHIL BHARAT VIVEKANANDA YUVA MAHAMANDAL
' BHUVAN BHAVAN '
P.O. Balram Dharm Sopan.
Khardah,
North 24 Parganas.
West Bengal, India.
Pin- 700116
अथवा
City Office.
6/1A, Justice Manmatha Mukherjee Row,
KOLKATA, INDIA-7OOOO9
KOLKATA, INDIA-7OOOO9
Phone : (033) 2350-6898
महामण्डल के वास्तविक अंगप्रत्यंग हैं :
इसकी विभिन्न इकाइयाँ
महामण्डल के वास्तविक अंगप्रत्यंग (मनुष्य- निर्माणकारी तथा चरित्र-गठनकारी शिक्षा केन्द्रों के रूप में क्रियाशील ) इसकी इकाइयाँ हैं,जिनके माध्यम से इसमें प्राण स्पन्दित होता है, यह कार्य करता है,और मनुष्य के चारित्रिक गुणों में परिवर्तन लाता है. इसप्रकार इसकी शाखा-प्रशाखाएँ आगे फैलती जाती हैं, और जिसके कारण इसका अस्तित्व निरन्तर बना रहता है.
हमारा ' केंद्रीय-संगठन ' अर्थात " महामण्डल ", - विभिन्न राज्यों में क्रियाशील इकाइयों को सीमेंट से जोड़े रखने वाली शक्ति के रूप में कार्य करता है, जो महामण्डल के उद्देश्य एवं आदर्श को कार्यरूप देने वाले वास्तविक केंद्र है, इस प्रकार यह उन्हें एक बहुत विशालकाय शरीर के सजीव-अंगप्रत्यंग के रूप में संचालित रखता है.
इस समय, जनवरी २००९ तक भारत के विभिन्न राज्यों, यथा पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, आसाम, बिहार, झारखण्ड, ओरिसा, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात एवं दिल्ली आदि में महामण्डल से सम्बद्ध - ३५० ' मनुष्य-निर्माणकारी ' केंद्र क्रियाशील हैं.
इस समय, जनवरी २००९ तक भारत के विभिन्न राज्यों, यथा पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, आसाम, बिहार, झारखण्ड, ओरिसा, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात एवं दिल्ली आदि में महामण्डल से सम्बद्ध - ३५० ' मनुष्य-निर्माणकारी ' केंद्र क्रियाशील हैं.
कार्य-कलाप (ACTIVITIES )
इकाइयों के द्वारा सामाजिक कार्य के रूप में, निःशुल्क कोचिंग, प्रौढ़ शिक्षा, खेल-कूद, अनुशासित कवायद प्रशिक्षण, पाठ चक्र (साप्ताहिक भ्रम-भंजन गोष्ठी या Study -Circles ), शारीरिक प्रशिक्षण, दुर्गा-पूजा आदि अवसरों पर रामकृष्ण-विवेकानन्द वेदान्त- साहित्य पुस्तक-विक्रय केंद्र,
पुस्तकालय सह वाचनालय, गन्दी-बस्ती में रहने वालों की सेवा, प्राथमिक-चिकित्सा, प्राथमिक-चिकित्सा में प्रशिक्षण, संगीत कला में प्रशिक्षण, स्वाथ्य योजनायें, पौष्टिक आहार एवं भोजन योजनायें, कुटीर-उद्द्योग, स्टुडेंट्स होम, आदि ' समाज-सेवाओं ' का उत्तरदायित्व समाचार पत्रों में अपना फोटो छपवाने के उद्देश्य से नहीं, बल्कि अपने चरित्र-गठन के उद्देश्य को सामने रख कर लिया जाता है.
इसके अतिरिक्त इसके केन्द्रों द्वारा समय समय पर सांस्कृतिक आयोजन किये जाते हैं, महत्वपूर्ण उत्सवों को समारोह पूर्वक मनाया जाता है, एवं सार्वजनिक अधिवेशन, शैक्षणिक प्रतियोगिताएँ, सामूहिक भोजन, वस्त्रों का वितरण, निर्धन व्यक्तियों तथा प्राकृतिक आपदाओं में राहत सामग्री वितरण करने के आलावा अन्य विविध प्रकार के सामाजिक कार्यों का उत्तरदायित्व महामण्डल के केन्द्रों द्वारा संयुक्त रूप से या अलग अलग लिया जाता है.
जीवन-गठन के ऊपर परिचर्चा करने के लिए संयुक्त-अधिवेशन सत्र या नियतकालिक ' विशेष प्रशिक्षण शिविर ' (SPTC) जिसे " शिक्षा एवं समीक्षा का विशेष सत्र " का आयोजन होता है, जिस में हमारे क्रिया-कलापों के साथ निकट से जुड़े विभिन्न चित्ताकर्षक विषयों पर 'व्याख्यान और प्रश्नोत्तरी' के कार्यक्रम को बहुधा प्रतिष्ठित शिक्षा विद सम्बोधित करते हैं.
इस अवसर पर प्रत्येक केंद्र के सक्रिय सदस्यों तथा कार्यकर्ताओं को- अपनी चरित्र-निर्माणकारी धारणाओं के सम्बन्ध में उनके तद्रूप दुसरे केन्द्रों के कर्मियों के साथ, आदान-प्रदान करने का सुयोग भी प्राप्त होता है.
इस अवसर पर प्रत्येक केंद्र के सक्रिय सदस्यों तथा कार्यकर्ताओं को- अपनी चरित्र-निर्माणकारी धारणाओं के सम्बन्ध में उनके तद्रूप दुसरे केन्द्रों के कर्मियों के साथ, आदान-प्रदान करने का सुयोग भी प्राप्त होता है.
" सर्व भारतीय युवा प्रशिक्षण शिविर "
" THE ANNUAL ALL INDIA YOUTH TRAINING CAMP "
महामण्डल का सबसे बड़ा संयुक्त कार्यक्रम इसका वार्षिक युवा प्रशिक्षण शिविर है, जो प्रशिक्षनार्थियों के '3H's- Hand (body शरीर ), Head (mind मन ) एवं Heart (soul आत्मा ) के प्रशिक्षण के मध्य एक संतुलन स्थापित करने का प्रयास करता है. इसके सार्वजानिक कार्यक्रमों में ' मनः संयोग ' (मन को एकाग्रचित्त करना ), शारीरिक प्रशिक्षण, नेतृत्व-क्षमता विकास प्रशिक्षण, चरित्र-निर्माण की व्यावहारिक पद्धति, परेड, प्राथमिक-चिकित्सा प्रशिक्षण, खेल-कूद, शिशु-विभाग ' विवेक-वाहिनी ' को प्रारंभ करने का प्रशिक्षण,
नियमित प्रार्थना एवं संगीत प्रशिक्षण के साथ साथ भारत की सांस्कृतिक विरासत (cultural heritage of India) के ऊपर संभाषण, समाज विज्ञान, सदाचार, स्वास्थ्य आदि विषयों के साथ साथ स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं को समाविष्ट किया जाता है.यह शिविर अपने सहभागियों को आत्माभिव्यक्ति के लिए पर्याप्त कार्यक्षेत्र भी उपलब्ध कराता है.
नियमित प्रार्थना एवं संगीत प्रशिक्षण के साथ साथ भारत की सांस्कृतिक विरासत (cultural heritage of India) के ऊपर संभाषण, समाज विज्ञान, सदाचार, स्वास्थ्य आदि विषयों के साथ साथ स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं को समाविष्ट किया जाता है.यह शिविर अपने सहभागियों को आत्माभिव्यक्ति के लिए पर्याप्त कार्यक्षेत्र भी उपलब्ध कराता है.
" लोकल (स्थानिक) युवा प्रशिक्षण शिविर "
(Local Youth Training Camps)
विभिन्न राज्यों के विभिन्न केन्द्रों के द्वारा जिला-स्तरीय शिविर, राज्य-स्तरीय शिविर, अंतर्राज्य -स्तरीय शिविर भी लगभग प्रतिवर्ष आयोजित किये जाते हैं. संगठनकर्ताओं के लिए, अलग से विशेष प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किये जाते हैं.
महामण्डल का द्विभाषी मुखपत्र :
" THE VIVEK- JIVAN "
" THE VIVEK- JIVAN "
महामण्डल अपने देश के युवाओं को ' विवेकपूर्ण- जीवन ' में दीक्षित करने, विभिन्न केन्द्रों द्वारा संचालित गतिविधियों में समन्वय स्थापित करने, तथा स्वामी विवेकानन्द द्वारा प्रदत्त भारत-पुनर्निर्माण सूत्र - " Be and Make " का देश-व्यापी प्रचार-प्रसार करने के लिए, अपने रजिस्टर्ड ऑफिस से, एक द्विभाषी (अंग्रेजी और बंगला ) मासिक मुखपत्र " VIVEK-JIVAN " प्रकाशित करता है. इस मासिक पत्रिका के प्रकाशक एवं सम्पादक इस संस्था के अध्यक्ष श्री नवनिहरण मुखोपाध्याय हैं, तथा उन्हीं के द्वारा इसे 'विवेकानन्द मुद्रणालय ' चकदह, नदिया से मुद्रित भी किया जाता है, श्री अरुणाभ सेनगुप्ता इसके उपसम्पादक हैं.
देश के हिन्दी भाषी क्षेत्र के युवाओं को 'विवेक-पूर्ण जीवन ' में दीक्षित करने के उद्देश्य से, महामण्डल अपने द्विभाषी मासिक मुखपत्र :" Vivek- Jivan " का हिन्दी संस्करण त्रैमासिक पत्रिका के रूप में
" विवेक अंजन " का प्रकाशन Jhumritelaiya Vivekananda Yuva Mahamandal, Tara Niketan, Bishunpur Road, P.O. Jhumritelaiya, Dist: Koderma, PIN: 825409 से कर रहा है.
जिसका वार्षिक सदस्यता शुल्क ५०/= रुपया तथा एक प्रति का मूल्य १५/= रुपया है.
प्रकाशन
महामण्डल जिन सिद्धांतों को उपयोगी समझता है, उनके ऊपर विभिन्न भाषाओँ (-हिन्दी, अंग्रेजी, बंगला, उड़िया, तेलगु, आदि ) में पुस्तिकाओं का प्रकाशन भी करता है.
हिन्दी में प्रकाशित पुस्तिकाओं की सूचि :१.एक युवा आन्दोलन......१५/=
२. मनः संयोग ....७/=
३. जीवन-गठन ...७/=
४. चरित्र गठन...७/=
५.चरित्र के गुण ....७/=
६. नेतृत्व की अवधारणा तथा गुण- १५/=
७. अखिल भारत विवेकानन्द युवा महामण्डल का उद्देश्य एवं कार्य...२/=
८. चमत्कार जो आपकी आज्ञां का पालन करेगा....१/=
९. विवेकानन्द और युवा आन्दोलन .....प्रेस में.
१०. चरित्र-निर्माण कैसे करें ?....प्रेस में.
११. परिप्रश्नेन .....१२/=
महामण्डल ने युवाओं के अभिरुचि को ध्यान में रखते हुए, विभिन्न भाषाओँ में अभी तक १५० से अधिक पुस्तक-पुस्तिकाओं का प्रकाशन किया है.
The Mahamandal has so far published more than 150 books and booklets in different languages on subjects which may interest the youth.
The Mahamandal has so far published more than 150 books and booklets in different languages on subjects which may interest the youth.
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