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रविवार, 19 जनवरी 2025

विवेक वाहिनी के नये तराने : " चल चल चल ; उर्ध गगने बाजे मादल !"

  विवेक वाहिनी के नये तराने- 



1.चल चल चल ; उर्ध गगने बाजे मादल !


चल चल चल 
उर्ध गगने बाजे मादल,
निम्ने उतला धरनी-तल, 
अरुण प्रातेर तरुण दल ,
चल रे, चल रे चल।  


ऊषार दूयारे हानि आघात ,
आमरा आनिबो रांगा प्रभात। 

आमरा टूटाबो तिमिर रात ,
बाधार बिन्ध्याचल। 

नव नबीनेर गाहिया गान, 
सजीब क़रीबो महा श्मशान ,
आमरा दानिबो नतून प्राण ,
बाहूते नवीन बल। 

चल रे नउ जोयान ,
शोन रे पातिया कान !
चल रे नउ जोयान ,
शोन रे पातिया कान !
मृत्यु तोरण दूआरे दूआरे ,
जीवनेर आह्वान। 


भाँग रे भाँग आगल,
चल रे चल रे चल ,
भाँग रे भाँग आगल,
चल रे चल रे चल ,
चल चल चल,
चल चल चल .....   

-काजी नजरुल इस्लाम
1.চল চল চল, উর্দ্ধ গগনে বাজে মাদল। 


চল চল‌ চল‌,
চল চল‌ চল‌...

ঊর্ধ্ব গগনে বাজে মাদল
নিম্নে উতলা ধরণী–তল
অরুণ প্রাতের তরুণ দল
চল‌ রে চল‌ রে চল‌‌-2


ঊষার দুয়ারে হানি আঘাত
আমরা আনিব রাঙা প্রভাত
আমরা টুটাব তিমির রাত
বাধার বিন্ধ্যাচল।-2


নব নবীনের গাহিয়া গান
সজীব করিব মহাশ্মশান
আমরা দানিব নতুন প্রাণ
বাহুতে নবীন বল।-2

চল‌‌ রে নও জোয়ান
শোন‌ রে পাতিয়া কান
চল‌‌ রে নও জোয়ান
শোন‌ রে পাতিয়া কান
মৃত্যু তোরণ, দুয়ারে দুয়ারে
জীবনের আহ্বান।

ভাঙ রে ভাঙ আগল
চল‌ রে চল রে চল‌
ভাঙ রে ভাঙ আগল
চল‌ রে চল রে চল‌
চল চল‌ চল,
চল চল‌ চল...

ঊর্ধ্ব আদেশ হানিছে বাজ,
শহীদী-ঈদের সেনারা সাজ,
দিকে দিকে চলে কুচ-কাওয়াজ
খোল রে নিদ-মহল-2


কবে সে খেয়ালী বাদশাহী,
সেই সে অতীতে আজো চাহি'
যাস মুসাফির গান গাহি'
ফেলিস অশ্রুজল।-2 

যাক রে তখত-তাউস
জাগ রে জাগ বেহুঁশ।
যাক রে তখত-তাউস
জাগ রে জাগ বেহুঁশ।

ডুবিল রে দেখ কত পারস্য
কত রোম গ্রিক রুশ,
জাগিল তারা সকল,
জেগে ওঠ হীনবল
জাগিল তারা সকল,
জেগে ওঠ হীনবল

আমরা গড়িব নতুন করিয়া
ধুলায় তাজমহল

চল চল‌ চল‌,
চল চল‌ চল‌...
ঊর্ধ্ব গগনে বাজে মাদল
নিম্নে উতলা ধরণী–তল
অরুণ প্রাতের তরুণ দল
চল‌ রে চল‌ রে চল‌‌

চল চল‌ চল‌,
চল চল‌ চল‌,
চল চল‌ চল‌,
চল চল‌ চল‌...
চল্‌ চল্‌ চল্‌। 
চল্‌ চল্‌ চল্‌।

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2. शुभ कर्मपथे धर निर्भय गान। 



शुभ कर्मपथे धर निर्भय गान। 
सब दुर्बल संशय होक अवसान। 

चिर शक्तिर निर्झर नित्य झरे , 
लह ' से अभिषेक ललाट ' परे। 

तव जाग्रत निर्मल नूतन प्राण ,
त्यागब्रते निक दीक्षा -
बिघ्न हते निक शिक्षा -
निष्ठुर संकट दिक् सम्मान। 
दुःखई होक तव बित्त महान। 
शुभ कर्मपथे धर निर्भय गान।
 
चल ' यात्री, चल ' दिनरात्रि -
कर ' अमृत लोकपथ अनुसन्धान। 

जड़ता तामस होओ उत्तीर्ण ,
क्लान्तिजाल कर ' दीर्घ बिदीर्ण -

दिन-अन्ते अपराजित चित्ते 
मृत्युतरण तीर्थे कर स्नान।। 

शुभ कर्मपथे धर निर्भय गान।
सब दुर्बल संशय होक अवसान। 


-रबीन्द्रनाथ टैगोर         


2. শুভ কর্মপথে ধর' নির্ভয় গান।

শুভ     কর্মপথে ধর' নির্ভয় গান।
সব      দুর্বল সংশয় হোক অবসান।
চির-    শক্তির নির্ঝর নিত্য ঝরে
লহ'          সে অভিষেক ললাট'পরে।
তব     জাগ্রত নির্মল নূতন প্রাণ
ত্যাগব্রতে নিক দীক্ষা,
বিঘ্ন হতে নিক শিক্ষা--
নিষ্ঠুর সঙ্কট দিক সম্মান।
দুঃখই হোক তব বিত্ত মহান।
চল' যাত্রী, চল' দিনরাত্রি--
কর' অমৃতলোকপথ অনুসন্ধান।
জড়তাতামস হও উত্তীর্ণ,
ক্লান্তিজাল কর' দীর্ণ বিদীর্ণ--
দিন-অন্তে অপরাজিত চিত্তে
মৃত্যুতরণ তীর্থে কর' স্নান ॥
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3.हासिते खेलिते आसिनी ए जगते ,करिते होबे मोदेर मायेरई साधना। 
(आशा -भैरवी / कहरवा) 
 

हासिते खेलिते आसिनी ए जगते ,
करिते होबे मोदेर मायेरई साधना।-2  

देखाते हबे आजि जगतबासी सबे, 
एखोनो भारतेर जायनी रे चेतना। 

हासिते खेलिते आसिनी ए जगते ,
करिते होबे मोदेर मायेरई साधना।-2  

गभीर हुँकारे हुँकारी दे रे डाक,
सिहरि उठूक बिश्व , मेदिनी टा फेटे जाक। 

गभीर हुँकारे हुँकारी दे रे डाक,
सिहरि उठूक बिश्व , मेदिनी टा फेटे जाक। 

आमादेर जन्मभूमि देवतार लीलाभूमि ,
देवगण आसूक, नेमे , पूर्ण होक वासना। 

देखाते हबे आजि जगतबासी सबे, 
एखोनो भारतेर जायनी रे चेतना। 

सार्थक हबे तबे ए जनम सबाकार,
छेलेर गौरवे हबे गर्विणी माँ आमार। 

जगत लूटिबे पाय , घूचे जाबे जत दाय ,
मिटे जाबे मुकुन्देर चिरदीनेर कामना। 

हासिते खेलिते आसिनी ए जगते ,
करिते होबे मोदेर मायेरई साधना।-2  

-चारण कवि मुकुन्द दास 
 

3.হাসিতে খেলিতে আসিনি এ জগতে,

হাসিতে খেলিতে আসিনি এ জগতে,
করিতে হবে মোদের মায়েরই সাধনা।

দেখাতে হবে আজি জগৎবাসী সবে,
এখোনো ভারতের যায়নি রে চেতনা।

গভীর ওঙ্কারে হুঙ্কারি দে রে ডাক,
শিহরি উঠুক বিশ্ব, মেদিনীটা ফেটে যাক।

আমাদের জন্মভূমি দেবতার লীলাভূমি,
দেবগণ আসুক নেমে, পূর্ণ হোক বাসনা।

সার্থক হবে তবে এ জনম সবাকার,
ছেলের গৌরবে হবে গরবিণী মা আমার!

জগৎ লুটিবে পায়, ঘুচে যাবে যত দায়,
মিটে যাবে মুকুন্দের চিরদিনের কামনা।


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4. हे स्वामीजी ! आमरा युवक दल , 

(ताल -दादरा )


हे स्वामीजी ! आमरा तरुण दल 

हे स्वामीजी ! आमरा युवक दल , 

तोमार आशिस तोमार वाणी कोरेछि संबल। 

तुमि मोदेर इष्टदेव, तुमि चलार पथ। 

एई जीवनेर लक्ष्य तुमि, तुमि आलोर रथ।

तुमि मोदेर सकल आशा , देहे नवीन बल। 

तोमार वाणी वक्ष निये शपथ निबो , 

मातृभूमिर कल्याणे जीवन सौंपीबो। 

ताईतो मोरा तोमाय नमि , तोमार दूटी चरण चूमि, माताबो एई धरणीतल। 

तोमार आशिस तोमार वाणी कोरेछि संबल। 

-स्वामी आत्मकामानन्द 
 

4. হে স্বামীজী আমরা যুবকদল , 

হে স্বামীজী আমরা যুবকদল , 

তোমার আশিস, তোমার বাণী করেছি সম্বল। 

তুমি মোদের ইষ্ট , তুমি চলার পথ। 

যেই জীবনের লক্ষ্য তুমি , তুমি আলোর রথ ,

তুমি মোদের সকল আশা , দেহে নবীন বল। 


তোমার বাণী বক্ষে নিয়ে শপথ নিব,

 মাতৃভূমির কল্যাণে জীবন সঁপিব। 

তাইতো মোরা তোমায় নমি, তোমার দুটি চরণ চুমি। 

মাতবো এই ধরণীতল।

তোমার আশিস, তোমার বাণী করেছি সম্বল। 

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5. आमाय रक्त दाओ, आमि तोमाय स्वाधीनता देबो  

आमाय रक्त दाओ, आमि तोमाय स्वाधीनता देबो !!-२  

शिकल पोड़ा देश माता के मुक्तो कोरे निबो। 

ए कथा शुधू - नेताजी सुभाष तुमि बोलते पारो।  

शुधू तुमि बोलते पारो। 

आमाय रक्त दाओ, आमि तोमाय स्वाधीनता देबो-२  


तोमार मुखेर जोय हिन्द ध्वनि , स्वधीनतार सञ्जीवनी,
तोमार मुखेर जोय हिन्द ध्वनि स्वधीनतार सञ्जीवनी,
 
कदम कदम बढ़ाये जा , ऐशो प्रेमेर परश मणि। 
कदम कदम पाड़ाय जा ऐशो प्रेमेर परश मणि। 

झड़ेर मुखे प्रदीप होये ,झड़ेर मुखे प्रदीप होये, 
तुमि ज्वलिते पारो; शुधू तुमि ज्वलिते पारो। 

आमाय रक्त दाओ, आमि तोमाय स्वाधीनता देबो-२ 
आमाय रक्त दाओ, आमि तोमाय स्वाधीनता देबो-२ 

तोमार जीवन गल्पेर मोतो , तोमार वाणी  जीवनेर ब्रतो।
तोमार जीवन गल्पेर मोतो , तोमार वाणी  जीवनेर ब्रतो।

हजार बाँधार प्राचीर भेंगे ; तोबू तोमार शीर उन्नतो। 
हजार बाँधार प्राचीर भेंगे, तोबू तोमार शीर उन्नतो। 

पथेर काँटा पाएर निचे, पथेर काँटा पाएर निचे,
 तुमि दोलते पारो। शुधू तुमि दोलते पारो। 
आमाय रक्त दाओ, आमि तोमाय स्वाधीनता देबो-२ 
आमाय रक्त दाओ, आमि तोमाय स्वाधीनता देबो-२ [३.१०]  

शिकल कोरा देश माता के मुक्तो कोरे नेबो। 
ए कथा शुधू नेताजी सुभाष तुमि बोलते पारो। 
शुधू तुमि बोलते पारो। शुधु तुमि बोलते पारो।
 
आमाय रक्त दाओ, आमि तोमाय स्वाधीनता देबो-२  
आमाय रक्त दाओ, आमि तोमाय स्वाधीनता देबो-२  

"तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा !"

" तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा !" देशवासियों से ऐसा आह्वान एकमात्र नेताजी [ ही कर सकते हैं ! एक मात्र बालक नेताजी ही उत्तर दे सकते थे -  कि भारत की पराधीनता के लिए कौन उत्तरदायी है? कटक (उड़ीसा) स्कूल के प्रधानाध्यापक बेनीमाधव बाबू ने पूछा तो नेताजी ने कहा कि हम बंगाली ही इसके लिए जिम्मेदार हैं, यदि हमलोग थोड़ा प्रतिरोध करते तो भारत पराधीन न होता। वह अपनी मां को पत्र लिख रहे हैं कि मुझे जो बीस रुपए की छात्रवृत्ति मिलेगी, उसे अपने देश के गरीब लोगों की सेवा में खर्च करूंगा। मां ने चींटी को उसकी किताब के पीछे रखी तीन रोटियां खाते देखा तो पूछा तो नन्हे सुभाष ने कहा आप मुझे भरपेट खाने को देते हैं, लेकिन रोज एक गरीब जाता है, मैं उसे एक रोटी देती हूं, पर वह तीन दिन से नहीं आया। बालकपन में वे ध्यान-ध्यान का खेल खेलते थे, जिससे उसका साहस और धैर्य बहुत बढ़ गया था। नेताजी के आदर्श थे -स्वामीजी ! और भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के आदर्श हैं नेताजी ! क्यों? क्योंकि वे ही एकमात्र ऐसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी हैं, जिनका जन्मदिन 23 जनवरी को ज्ञात है पर उनकी पुण्यतिथि या तिरोधान दिवस किसी को ज्ञात नहीं है। इसलिए वे हमेशा रहेंगे ! 

[प्लासी का युद्ध, बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 23 जून, 1757 को लड़ा गया था। यह युद्ध  उत्तर-पूर्वी भारत में भागीरथी नदी के किनारे 'प्लासी' नामक स्थान में हुआ था जो वर्तमान में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में मुर्शिदाबाद के दक्षिण में 22 मील दूर स्थित है।  इस युद्ध में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत हुई थी। कलाइव ने लड़कर नहीं षडंयत्र करके युद्ध जीत लिया था। इस युद्ध को भारत के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण माना जाता है। इस युद्ध के परिणामस्वरूप ही भारत में अंग्रेजों ने पैर जमा लिये। इस युद्ध में नवाब सिराजुद्दौला के सेनापति मीर जाफ़र, तथा राज्य के अमीर सेठ जगत सेठ आदि ने  धोखा देकर अंग्रेज के साथ दलबदल किया था। नवाब की तो पूरी सेना ने युद्ध मे भाग भी नही लिया था। ने प्लासी के युद्ध के समय अंग्रेजों के पास मात्र 300 सिपाही थे और सिराजुदौला के पास बीस हजार भारतीय सिपाही थे, जो खड़े होकर युद्ध देख रहे थे। यदि एक-एक ढेला भी मारते तो भारत कभी गुलाम नहीं होता। इस युद्ध के बाद, अंग्रेज़ों ने बंगाल पर नियंत्रण हासिल कर लिया था।  इस युद्ध ने भारत के अन्य हिस्सों में ब्रिटिश विस्तार की संभावना को भी खोल दिया था। इस युद्ध के बाद, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में सबसे बड़ी आर्थिक और सैन्य शक्ति बन गई। बीरेन दा ने बहरागोड़ा कैम्प में अपने भाषण में कहा था।]      

"Give me blood, I will give you freedom" - only Netaji can say, who is responsible for India's subjugation? Asked Benimadhav Babu, the headmaster of Cuttack School, Netaji said that we are Bengalis, if we had resisted a little, India would not have been subjugated. He is writing a letter to his mother, saying that I will spend the twenty rupees scholarship that I will get in the service of the poor people of my country. Mother saw Ant eating three rotis kept behind his book, and when she asked, little Subhash said, "You give me plenty to eat, but every day a poor person goes, I give him one roti, but he has not come for three days. As a boy, he used to meditate and play, which increased his courage and patience. Swamiji was Netaji's ideal, his Netaji is the ideal of the freedom fighters of India, why? He is the only prominent freedom fighter whose birthday is on 23 January but his death anniversary or death anniversary is not known.

[The Battle of Plassey was fought between Siraj-ud-Daulah, the Nawab of Bengal, and the British East India Company on 23 June 1757. This war took place in north-eastern India. The British East India Company led by Robert Clive won this war. In this war, Nawab Siraj-ud-Daulah's commander Mir Jafar betrayed and defected to the British. The British army had only 300 soldiers in this war, and one lakh Indians were standing and watching the war. If even one stone had been thrown, India would never have been enslaved. After this war, the British had gained control over Bengal. This war also opened up the possibility of British expansion in other parts of India. After this war, the British East India Company became the largest economic and military power in India.

"আমায় রক্ত দাও , আমি তোমায় স্বাধীনতা দেব" - বলতে পারেন কেবল নেতাজি , ভারতের পরাধীনতা জন্যে কে দায়ী ? জিজ্ঞাসা করিলেন কাটাক স্কুলের হেডমাস্টার বেণীমাধব বাবু , নেতাজি বললেন আমরা বাঙালি রা , আমরা যদি একটু প্রতিরোধ করতাম ভারত পরাধীন হতো না।  মা কে চিঠি লিখছেন আমি কুড়ি টাকা যে স্কলারশিপ পাবো , তাকে আমি আমার দেশের গরিব মানুষের সেবায় খরচ করবো। মা দেখলেন পিঁপড়ে উনার কিতাব পিছনে রাখা তিন টি রুটি খাচ্ছে , জিগ্যেস করলেন তো ছোট সুভাষ বললো , তুমি আমাকে প্রচুর খেতে দাও , কিন্তু রোজ এক জন গরিব মানুষ যান আমি ওনাকে এক তা রুটি দি , কিন্তু তিন দিন হলো উনি আসছেন না। ছেলে বেলায় ধ্যান-ধ্যান খেলতেন তার  ফলে সাহস ওর ধৈর্য বেড়ে যায়। স্বামীজী ছিলেন নেতাজির  আদর্শ , ওর নেতাজি হলেন ভারতের স্বাধীনতা সংগ্রামীর আদর্শ , কেন ? উনি এক মাত্র প্রমুখ স্বতন্ত্রতা সেনানী যার জন্মদিবস ২৩ জনবরী আছে কিন্তু প্রয়াণ দিবস , বা তার তিরোধান দিবস জ্ঞাত নেই।  

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6. मुक्तिर मंदिर सोपान तले कतो प्राण हलो बलिदान, 

लेखा आछे अश्रु जले !

कत बिप्लबी बन्धुर रक्ते राँगा, 

बन्दिशाला ओई शिकल भाँगा।   

ताँरा कि फिरिबे आज सुप्रभाते। 

जत तरुण अरुण गेछे अस्ताचले,  

मुक्तिर मंदिर सोपान तले कतो प्राण हलो बलिदान, 

लेखा आछे अश्रु जले !

जाँरा स्वर्गगत ताँरा एखनओ जाने ,

स्वर्गेर चेये प्रिय जन्मभूमि।  


एसो स्वदेशव्रतेर महा दीक्षा लभि,

जाँरा स्वर्गगत ताँरा एखनओ जाने ,

स्वर्गेर चेये प्रिय जन्मभूमि।  


सेई मृत्युंजयीदेर चरण चूमि , 

जाँरा जीर्ण जातिर बुके जागालो आशा ,

मौल मलिन मुखे जोगालो भाषा।   


आजि रक्त कमले गाँथा,   

आजि रक्त कमले गाँथा, माल्यखानि,  

বিজয় লক্ষ্মী দেবে তাঁদেরই গলে।

विजय लक्ष्मी देबे तांदेरई गले। 

मुक्तिर मंदिर सोपान तले कतो प्राण हलो बलिदान, 

लेखा आछे अश्रु जले !  

गायक: कलकत्ता कॉयर। संगीतकार: कृष्ण चंद्र डे। गीतकार: मोहिनी चौधरी। घराना : देशभक्ति

Muktira mandira sōpānatalē kato prāṇa halō balidāna

 lēkhā āchē aśru jalē ! 


মুক্তির মন্দির সোপানতলে কত প্রাণ হলো বলিদান,

‎লেখা আছে অশ্রুজলে। 

কত বিপ্লবী বন্ধুর রক্তে রাঙা,

বন্দীশালার ওই শিকল ভাঙ্গা। 

তাঁরা কি ফিরিবে আজ,

তাঁরা কি ফিরিবে আজ সুপ্রভাতে। 

যত তরুণ অরুণ গেছে অস্তাচলে, 

মুক্তির মন্দির সোপানতলে কত প্রাণ হলো বলিদান,

‎লেখা আছে অশ্রুজলে। 

যাঁরা স্বর্গগত তাঁরা এখনও জানে,

স্বর্গের চেয়ে প্রিয় জন্মভূমি।  

এসো স্বদেশব্রতের মহা দীক্ষা লভি, 


যাঁরা স্বর্গগত তাঁরা এখনও জানে

স্বর্গের চেয়ে প্রিয় জন্মভূমি। 

‎সেই মৃত্যুঞ্জয়ীদের চরণ চুমি, 

যাঁরা জীর্ণ জাতির বুকে জাগালো আশা,

মৌল মলিন মুখে জোগালো ভাষা। 

‎আজি রক্ত কমলে গাঁথা, 

‎আজি রক্ত কমলে গাঁথা মাল্যখানি, 

বিজয় লক্ষ্মী দেবে তাঁদেরই গলে। 

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7.सबार आगे स्वास्थ चाई , आध्यात्मिक शक्ति चाई।

(ताल -दादरा) 

सबार आगे स्वास्थ चाई , आध्यात्मिक शक्ति चाई।

उपासना ज्ञाने कर्ममय जीवन चाई। 

पिता, माता , गुरुजनदेर कथा मत चलबो भाई। 

देशेर काजे मरते चाई। 

देशेर सेवाय लागते चाई।। 

निजेर दोष देखबो मोरा , परेर दोषे नजर नाई।। 

अल्ला , गॉड , भगवान एकई शक्ति जानि भाई।। 

स्वामीजीर आशीर्वादे मानुष आमरा होबोई भाई। 

7. সবার আগে স্বাস্থ্য চাই, আধ্যাত্মিক শক্তি চাই।  

সবার আগে স্বাস্থ্য চাই, আধ্যাত্মিক শক্তি চাই।  

উপাসনা জ্ঞানে কর্মময় জীবন চাই। 

পিতামাতা গুরুজনদের কথামত চলবো ভাই। 

দেশের কাজে মরতে চাই। 

অভিঃ মন্ত্রে দীক্ষা মোদের। 

বাধা বিঘ্ন ভয় নাই।.

নিজের দোষ দেখবো মোরা ,

পরের দোষে নজর নাই। 

আল্লা গড ভগবান একই শক্তি জানি ভাই। 

স্বামীজীর আশীর্বাদে মানুষ আমরা হবোই ভাই। 

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8. मानुष होबार आन्दोलने मानुष होते चाई ,
(ताल दादरा )
मानुष होबार आन्दोलने मानुष होते चाई ,
मानुष होय देशेर तरे जीवन देबो भाई। 

ऐ आन्दोलन तोमार आमार एका कारोर नय ,
सबाई मिले ऐसो आजी मानुष होते जाई। 

अग्निमन्त्रे दीक्षा मोदेर भय बा करी कारे ,
वीर सेनानी सबाई मोरा स्वामीजिर तरे। 

डाक दिएछेन सेनापति आर देरी नय भाई। 
एगिए चलो एगिए एसो देशेर काजे जाई।।  
   
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 9.'एकई मत, एकई पथ, आमरा भाई भाई '
  
एकई मत, एकई पथ, आमरा भाई भाई ,
 एकई मत, एकई पथ, आमरा भाई भाई ,

हिंसा द्वेष भूले मोरा बाँचते सोबाई चाई। 
मिले मिशे स्फूर्ति कोरे हासि खेली गान गाई -

गान गान , गाई गान।।  

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10. आय आय आय आयरे सब छूटे -
(ताल -कहरवा )
आय आय आय आयरे सब छूटे -
सब बाधाके पिछने फेले, 
आयरे छूटे सबाई। 

मानुष होय मानुष गोड़ार -
संकल्प नीएछी मोरा 
सेई संकल्प सार्थक करते 
नीएछि स्वामीजिर भावधारा। 
त्यागेरई मन्त्रे दीक्षा निये जे ,
ह्रदय के विराट करि ,
सब मानुषेर माझे निजेके देखार 
साधना जे नियत करि। 
-उत्पल सिंह 
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