शुक्रवार, 21 जून 2024

🏹🔱🕊Panacea~ नित्य से लीला *परिच्छेद 134~ दिव्य चरित्र (Legend) "श्रीरामकृष्ण कौन हैं ? "[ (11 मार्च, 1886) श्री रामकृष्ण वचनामृत-134] 🏹🔱🕊1. 'ब्रह्म' और 'माया' । ज्ञानी माया को अलग कर देता है । (21.🏹🔱🕊हमारा 3'H's क्या ठाकुरदेव के भीतर से आया है ?🏹🔱🕊#विद्या और अविद्या/महामाया/ योगमाया >'अविद्या माया') 🔱🕊🏹2.🔱राजर्षि जनक जैसा ज्ञानी- भक्त अनासक्त होकर परिवार में भी रह सकता है 🔱 🔱🕊3.नरेन्द्र (भावी नेता) को ज्ञानयोग तथा भक्तियोग में समन्वय का उपदेश🏹🔱4.आत्मा शरीर और मन (सूक्ष्म शरीर) से निर्लिप्त है 🔱🕊5.शरीर रहने तक 'मैं' नहीं जायेगा-माँ दुर्गा (महामाया) की शरण लो 🔱🕊6. ज्ञानी (सिद्धार्थ गौतम ?) जग्रत,स्वप्न और सुषुप्ति को अस्तित्वहीन ? कहके हटा देते हैं, भक्त (गौतम बुद्ध-जागृत मनुष्य ?) जानता है चाण्डाल भी वे ही बने हैं !"(The foolishness of the wise) 🕊🏹7.नरेन्द्र बाहर से ज्ञानी भीतर से भक्त हैं 🕊🏹 8.🔱'विद्या के मैं' और 'भक्ति का मैं' में दोष नहीं; दोष 'बदमाश मैं' में है 🔱9 🏹नेता को नित्य में 'उस पार' पहुँचकर, लीला में 'इस पार' लौटना ही पड़ता है ! 🕊🏹10.🔱🕊🏹ज्ञानियों का लक्ष्य मुक्ति है ; अवतार और भक्त (प्रह्लाद-नरेंद्र-दादा) अपनी मुक्ति नहीं चाहते🔱🕊🏹 11.🔱🕊🏹 शुष्क ज्ञानी महिमाचरण चक्रवर्ती का घर 100 न ० काशीपुर रोड🔱🕊🏹 12.🔱🕊🏹श्रीरामकृष्ण के देह-धारण का अर्थ🔱🕊🏹13.🏹श्रीरामकृष्ण के दर्शन- ईश्वर, जीव, जगत ~ मोम का बना है ?🏹🔱 14. 🏹🔱🕊गौरांग रूप में मैं (कृष्ण) और माँ (राधा-सारदा) एक हो गए हैं।🏹🔱🕊16.🔱🕊विचार करो तुम क्या हो ? देह हो, मन हो या बुद्धि हो ?🔱🕊16.🔱🕊ठाकुर के देह के बारे में सोचना एकाग्रता का अभ्यास करना विद्या माया है🔱🕊17.🔱🕊ब्रह्म पर जगत (शरीर) अध्यस्त है -इसीलिए ऐषणाओं का त्याग आवश्यक 🔱🕊 19.🔱🕊सर्वं ब्रह्ममयं रे रे🔱🕊20.🔱🕊 नरेंद्र और वीरभाव-Attitude of a hero! Be Heros 🔱🕊21.🏹🔱🕊हमारा 3'H's क्या ठाकुरदेव के भीतर से आया है ?🏹🔱🕊

 [ (11 मार्च, 1886)श्री रामकृष्ण वचनामृत-134]  (१)  🔱🕊नरेन्द्र (भावी नेता) को  ज्ञानयोग तथा भक्तियोग में समन्वय का उपदेश  🔱🕊 [নরেন্দ্রকে...