Friday, October 25, 2024

$🔱🕊 🏹 🙋परिच्छेद 139 ~ श्रीरामकृष्ण का भक्तों के प्रति प्रेम* [( 22-23-24 अप्रैल, 1886) -श्री रामकृष्ण वचनामृत-139] 🔱जिस बुद्धि से ईश्वर की प्राप्ति होती है, वही बुद्धि जमे दही की तरह उत्कृष्ट कहलाती है ।🏹सब स्त्रियों पर मातृज्ञान के होने पर मनुष्य विद्या का संसार कर सकता है । 🔱वीर वह है, जो स्त्री के साथ रहने पर भी उससे प्रसंग नहीं करता ।🕊 'हे ईश्वर ! मैं तुम्हारा दास हूँ' - इससे भी ईश्वर का अनुभव होता है 🏹'मैं वही हूँ, सोऽहम्' - इससे भी ईश्वर का अनुभव होता है । 🙋“जड़ की सत्ता को चेतन समझ लिया जाता है और चेतन की सत्ता को जड़ । इसीलिए शरीर में रोग होने पर मनुष्य कहता है, 'मैं बीमार हूँ ।' ”🔱🕊 🏹 🙋🔱🕊 🏹 🙋

परिच्छेद 139 ~ 🙋 श्रीरामकृष्ण का भक्तों के प्रति प्रेम 🙋   (१) [(22 अप्रैल, 1886) -श्री रामकृष्ण वचनामृत-139]  राखाल, शशि आदि भक्तों के सं...