गुरुवार, 9 मार्च 2023

🔱🙏परिच्छेद~116 [ (13 जून,1885) श्रीरामकृष्ण वचनामृत-116 ] 🔱🙏श्रीरामकृष्ण वचनामृत क्यों पढ़ना चाहिये ?-" सिंहाचलम मंदिर" नृसिंह अवतार, Are you a beast ?' 'मोने कोरबे तुमि एक जन शिक्षक'!🔱🙏अहंकार (=time-space-causation )का अतिक्रमण : 🔱🙏श्रीरामकृष्ण तथा अहंकार का त्याग/ श्री रामकृष्ण देव की सत्यनिष्ठा/ज्ञानी और भक्त की अवस्था में श्रीरामकृष्ण/कुत्ता सभी का जूठन खाता है तो क्या उसे ज्ञानी कहेंगे? /त्रिगुणातीतावस्था में आत्मा समाधि को प्राप्त होती है/"मैं पाच तरह की तरकारियाँ इसलिए खाया करता हूँ कि देह छूट नहीं जाये / सोऽहं बोध के बाद माँ कृपा करके मन को ज्ञानी की अवस्था से भक्त की अवस्था (नेता) में रखती हैं/ नेतृत्व की उत्पत्ति🔱🙏 अवतार या नरलीला का गूढ़ अर्थ /संसार से धक्के खाने के बाद ही ठाकुर को अवज्ञा से देखने की दृष्टि समाप्त/साधुसंग जैसी अच्छी प्रवृत्तियाँ पिछले जन्म से विरासत में मिलती हैं/C-IN-C नवनीदा (कैप्टन सेवियर) को युवा-प्रशिक्षण का चपरास पूर्वजन्म से प्राप्त था/किन्तु जन्मजात नेता को भी माँ सारदा की इच्छा का अनुसरण करना होगा/देश-काल से परे ब्रह्म को जान लेने से बुद्धि कूटस्थ हो जाती है/कप्तान का चरित्र और श्री रामकृष्ण - पुरुष-प्रकृति योग/हर देश में तूँ , हर भेष में तूँ - लेकिन अम्बी -निन्दा किये बिना भी सचेत रहो/ 'नीचे की दुनिया' के प्रति आसक्ति खत्म तो ईश्वर बहुत निकट/सभी के साथ एक समान प्यार करना व्यावहारिक नहीं है/राम भजा सो जीता...आन देव की पूजा कीन्ही, हरि (गुरु) से रहा अतिता/भक्त कप्तान की दृष्टि में श्रीरामकृष्ण की अवस्था/यहाँ जड़ कुछ भी नहीं है - सब कुछ चैतन्य है!/चरित्रवान मनुष्य बनने के लिए वर्ष में कुछ दिन निर्जनवास जरुरी है/श्रीरामकृष्ण तथा श्रीराधिका-तत्त्व । जन्ममृत्यु-तत्त्व/ठाकुर का ज्ञानवर्धक प्रश्न- योगमाया क्या है ? /गृहस्थ विषयी (KP) नेता और शुद्ध आत्मा अनासक्त नेता के बीच अंतर/एकलौते बेटा-बेटी की मृत्यु (इहलोक त्याग) के लिए शोक और श्री रामकृष्ण/क्या नेता (CINC नवनीदा, मृत्युरूप माँ काली ) का 'चाँद सा मुखड़ा' के सामने , अपने पुत्र के 'चाँद से मुखड़े ' को वरीयता दी जा सकती है ? /[जन्म -मृत्यु : जादूगर का इन्द्रजाल/ईश्वर ही सत्य हैं , उनपर भक्ति कैसे हो ? /ॐ तत् सत् (C-IN-C) काली !/*दास 'मैं' । अवतारवाद*/परिपक्व-मैं या दास-मैं, कालीदास मैं, नवनीदास मैं !/जिस मैं से माँ काली (नवनीदा) को प्यार किया जाता है, उसे 'मैं' में नहीं गिना जाता/देह,मन और चित्त (आत्मा) से अवतार को प्रेम करना/मनुष्य के तीन मौलिक संकाय (3H) की क्षमता को अभिव्यक्त करने का उदाहरण /श्री बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय और श्रीकृष्ण-लीला/अनन्त (100% निःस्वार्थपरता) का साढ़ेतीन हाथ के भीतर समा जाना/*अहंकार ही विनाश का कारण तथा ईश्वर-लाभ में विघ्न है*/माँ की कृपा से अहंकार का अतिक्रमण हुए बिना स्वरुप का दर्शन असम्भव/कर्तापन का अहंकार गए बिना ईश्वर (SV) हमारी जिम्मेदारी नहीं लेते/'सोऽहम्' अवस्था प्राप्त करने के बाद दासोऽहं बनकर रहो/ब्रह्मज्ञान के लक्षण - भक्त का मैं - कर्म का त्याग/महामण्डल नेता अपने कर्मचारियों या छोटे भाई पर भार देकर निश्चिन्त रहते हैं/Amphibian नेता अपने कर्मचारियों या छोटे भाई पर भार देकर निश्चिन्त रहते हैं/पवहारी बाबा भक्ति से प्राप्त सन्तोष धन के बल पर partition suit भी जीत सकते है/हम भगवान श्रीरामकृष्ण और माँ सारदा के बच्चे हैं और किसी और के नहीं !/ईश्वर लाभ (सोऽहं बोध) के बाद स्वामीजी परम् कृपालु बड़े भाई प्रतीत होते हैं !/ कर्म कब तक करना है ? जब तक भक्ति नहीं भोग की इच्छा बनी हुई है !/अनन्य भक्ति (कुटीचक) का सुन्दर चित्रण : मेरो मन अनत कहां सुख पावै।/भोगों में आसक्ति समाप्त होने के बाद व्याकुलता और ईश्वरलाभ अर्थात सोऽहं बोध/बहूदक को माँ की कृपा से कुटीचक-अवस्था (निश्चिन्त तथा चेष्टाशून्य) प्राप्त होती है/उपाय (Remedy): "व्याकुलता से अनुकूल वायु और शुभ योग" के लिए प्रार्थना/माँ जगदम्बा की कृपा से स्वाति नक्षत्र का पानी मुर्दे की खोपड़ी पर गिरना तय है/माँ के व्याकुल होय डाकले, तीनि सुनबेनई सुनबेन/आतशी शीशे का प्रयोग करने के लिये कमरे से बाहर निकलना होगा/ईश्वरलाभ के बाद राजर्षि जनक जैसा भक्त गृहस्थ-जीवन में भी रह सकता है/जिनका कच्चा मैं पक्का मैं में रूपान्तरित नहीं हुआ वे मिट्टी के मकान में हैं/जगत माँ जगदम्बा का राज्य है, यहाँ हम सभी उनकी कृपा पर निर्भर हैं/चपरास (Command from God) पाये बिना कोई आचार्य नहीं हो सकता/

  परिच्छेद- ११६ श्रीरामकृष्ण की ज्ञान तथा भक्ति की अवस्था (१) 🔱🙏श्रीरामकृष्ण तथा अहंकार का त्याग🔱🙏 श्रीरामकृष्ण दक्षिणेश्वर के कालीमन्दि...