गुरुवार, 1 जुलाई 2021

🔆🙏🙏$$$परिच्छेद ~ 87, [(3 अगस्त, 1884) श्रीरामकृष्ण वचनामृत- 87 ]Yoga and The Six centres *कुण्डलिनी और षट्चक्र-भेद*/(*राखाल और एम. दोनों विवाहित थे।) *नित्य-लीला योग : अपराविद्या (Physics) और पराविद्या (Metaphysics)* श्यामा माँ कि कल करेछे, काली माँ कि कल करेछे। *'मनुष्य' बनने में विवेकअभ्यास और वैराग्य का महत्व * *श्रद्धा भक्ति के लिये सत्संग करना अनिवार्य* [अवतारों के उपदेश को सुनना आवश्यक, लेकिन फल समय-सापेक्ष * है।] [ठाकुर को सहजावस्था में भी अपने अवतार होने का बोध रहता है।] * गृहस्थ होकर लाल धोती * *देह (Matter-पंचभूत) धारण करने पर शक्ति (Energy) मानना अनिवार्य* [श्री रामकृष्ण और अभिमान तथा माँ का पिउन होने अहंकार। "मैं यंत्र हूं वे यंत्री हैं"श्रीकृष्ण चिदात्मा हैं और श्रीराधा चित्शक्ति या श्रीकृष्ण ही काली भी हैं ?वैराग्य का अर्थ । भक्त के लिए संचय या यादृच्छिक लाभ?

परिच्छेद~ ८७. (१) [(3 अगस्त, 1884)  श्रीरामकृष्ण वचनामृत-87] 🔆🙏कुण्डलिनी और षट्चक्र-भेद🔆🙏 [Yoga and the six centres] श्रीरामकृष्ण दक्षिण...