🔆🙏 🔆🙏 🔆🙏 ॐपरिच्छेद ~71, [(27 दिसंबर, 1883) श्रीरामकृष्ण वचनामृत-71 ] "How long man perform his duties?*CINC के सानिध्य में मणि के गुरुगृह वास का 14 वां दिन *कर्म कब तक हैं ? – जब तक उन्हें प्राप्त न कर सको । उन्हें प्राप्त कर लेने पर सब चले जाते हैं । तब पाप-पुण्य के पार जाया जाता है ।*ईश्वर-कोटि से अपराध नहीं होता ** सच्चा वैष्णव, शैव-शाक्त मार्ग की निन्दा नहीं करता* गृहस्थों (प्रवृत्ति मार्ग) के लिए- ज्ञानयोग या भक्तियोग ? **ईश्वर कर्ता हैं, तथापि कर्मों के लिए जीव उत्तरदायी है*[शिष्य दो प्रकार के होते हैं - बन्दर का बच्चा और बिल्ली का बच्चा] *मुमुक्षुत्वं या ईश्वर को देखने की व्याकुलता -समय सापेक्ष* [मनुष्य जीवन का उद्देश्य है - ईश्वर प्राप्ति — परा और अपरा विद्या —विज्ञानी दूध पिता है ! ]भुक्ति और मुक्ति ( 'भोग- desire-अर्थ और काम' तथा 'योग-liberation- धर्म और मोक्ष') दोनों के सामने अपने सिर को झुकाता हूँ;[अपने गुरु (नेता/CINC- नवनीदा) को आम मुखतारी (Power of Attorney) दे दो ! अभ्यास-योग = 'नेतृत्व करना तथा -'CS को DS' तक ले जाना !'

[(27 दिसंबर, 1883)  परिच्छेद ~71,   श्रीरामकृष्ण वचनामृत ]  (१)  🔆🙏 C-IN-C श्री रामकृष्ण के सानिध्य में मणि के गुरुगृह वास का 14 वां दिन  ...