शुक्रवार, 16 दिसंबर 2022

🔱🙏परिच्छेद ~112, [( 12 अप्रैल, 1885 ) श्रीरामकृष्ण वचनामृत-112 ]🔱🙏ईश्वरकोटि और जीवकोटि 🔱🙏ईश्वरकोटि का 'मैं', पारदर्शी- मैं है; भीतर से सामने देखने पर वही प्रेममय ईश्वर विभिन्न रूपों में दिखाई देते हैं !] they view from inside: The same loving God appears in different forms!🔱जो गृहस्थ कामिनी-कांचन में आसक्त हैं वे मानो 'cocoon' में कैद हैं🔱🔱दो ही चार जन C-IN-C नवनीदा को नेता समझने योग्य हैं!🙏सब कहते कागद की लेखी, नेता कहता आँखन से देखी 🔱जो मूर्तिपूजा में विश्वास नहीं रखते वे कुएं के एक मेंढक जैसे🔱क्या अवतार (नेता,C-IN-C नवनीदा) को हर कोई पहचान सकता है?🔱Can everyone recognize avatars? 🙏 The leader (devotee of the Mother) knows> 'God alone is Truth and all is impermanent'That's why his attachment to Lust and Lucre (wealth) ends!नेता (माँ का भक्त) जानता है कि ‘ईश्वर ही सत्य हैं और सब मिथ्या ’ 🔱🙏इसलिये वासना और धनदौलत में उसकी आसक्ति समाप्त हो जाती है]🔱स्वयं की साधना में पाप पुरुष को मारने का वर्णन🔱साक्षात् भगवान शिव की उपस्थिति और निर्देशन में ठाकुर की साधना 🔱नित्य-लीला : पुरुष-प्रकृति : विवेक-प्रयोग🔱 मनःसंयोग की साधना में दर्शन क्रिया ' कागज, कलम, मन लिखे तीन जन '🔱 भावावस्था में विवेक-प्रयोग या वस्तु-विचार🔱 साम्यभाव में अवस्थित माँ जगदम्बा का पुत्र -कहेगा माँ सारदा तेरी इच्छा पूर्ण हो🔱सिद्धियाँ (occult powers) बूढ़ी वैश्या की विष्ठा जैसी हैं🔱 गुरुगिरि करना और वैश्यावृत्ति दोनों एक हैं🔱`न आत्मानम् अवसादयेत् -"साबी" की तरह गुरुगिरि से अपना अधः पतन न करो 🔱सत्यार्थी श्री रामकृष्ण और पाप पुरुष का प्रलोभन🔱'एक' श्री रामकृष्ण (सच्चिदानन्द-विवेकानन्द) ही 'अनेक' बन गए हैं 🔱श्रद्धा उत्पन्न करने के उद्देश्य से माँ काली से पाप पुरुष को मारने के लिए कहें 🔱श्रीरामकृष्ण का महाभाव🔱 भैरवी ब्राह्मणी की सेवा🔱गृहस्थ भक्त को अनासक्त भाव से गृहस्थ धर्म का पालन करना चाहिए 🙏त्याग के संस्कार को समझाने लिए विवाह करना पड़ता है🙏श्रीरामकृष्ण परमहंस और शुकदेव परमहंस का विवाह 🙏विवेक-प्रयोग : विद्या का संसार और अविद्या का संसार🔱यदि जीवन का 'लक्ष्य' स्थिर है तो 'जितने मत उतने पथ' 🔱'राजयोग' या 'नव हुल्लोल योग' किसी भी मार्ग से वहाँ पहुँचा जा सकता है। 🔱सत्यवचन, आधीनता, और परस्त्री को अपनी माँ के रूप में देखना सतयुग में वास करना है🔱श्रद्धा-शरणागति के बिना अहंकार पर विजय प्राप्त नहीं होता 🔱🙏ईश्वरकोटि (भक्त-'ऋषि नारद') और जीवकोटि (ज्ञानी) 🔱ज्ञान और भक्ति का समन्वय🔱त्यागी लोकशिक्षक का अनिवार्य गुण विवेक-जन्य तीव्र वैराग्य🔱🙏 आद्याशक्ति माँ सारदा,संहारमूर्ति काली ! या नित्यकाली !🙏लक्ष्मी, सरस्वती , काली 🙏 🔱🙏विषयी लोग दान - अपनी सन्तान के प्रति मोह🔱अपनी सन्तान के प्रति मोह🔱छह दिवसीय निर्जनवास या शिविर जाने में पारिवारिक बाधा🔱 भक्त सब पटापट कूच कर जाते हैं, देखने से श्रीरामकृष्ण की अवस्था🔱ईश्वर का आनन्द मिल जाने पर तीनों ऐषणायें काकविष्ठावत् घृणास्पद हो जाती हैं !🔱'जय शचीनन्दन संकीर्तन' के आनन्द में 🙏 माँ आनन्दमयी का गाना के आनन्द में विभोर श्री रामकृष्ण 🙏केशव सेन जैसा गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी लोकशिक्षक बना जा सकता है 🔱'चातक नेता' का आहार ही प्रभु का नाम-जप-ध्यान ही होता है।🔱लोग कहते हैं कि वे परमेश्वर और संसार दोनों को थामे रहेंगे।🔱[দুআনা মদ ও দুদিক রাখা ]🔱 "आन लोकेर आन कोथा, किछु भालो तो लागे ना ....रे !"🙏क्या कोई सत्यार्थी धन संचय के बाद सत्य की खोज करेगा ?🔱मन हाथ रहे सदा जिनके, तिनके बन ही घर है, घर ही बनु है।🔱पहले सगुण सनातन साक्षी श्रीरामकृष्ण से बातचीत करने का आनन्द प्राप्त करना चाहिए, फिर उनका दास बनकर संसार में रहना चाहिए।]🙏सगुण सनातन साक्षी श्रीरामकृष्ण का भक्त/नेता कभी कलंकित नहीं होता🙏ह्रदय में विराजमान सगुण सनातन साक्षी श्रीरामकृष्ण तथा अवतार-तत्त्व🔱भक्त का ह्रदय ही उनका वार्ता-कक्ष (parlour-बैठक खाना)है🔱अहं के मिटते ही ह्रदय में विद्यमान अनन्त प्रेम का झरना फूट पड़ेगा 🔱सच्चिदानन्द प्रेम-जल है, उसके भीतर 'मैं' का घड़ा डूबा हुआ है🔱सत्य-असत्य-मिथ्या विवेक : ‘ईश्वर ही सत्य हैं और सब अनित्य (मिथ्या) ’🔱

  परिच्छेद ११२. *(कृष्णमयी के पिता) श्री बलराम बसु के मकान पर श्रीरामकृष्ण* (१) [(12 अप्रैल,1885)श्रीरामकृष्ण वचनामृत-112 ] 🔱 स्वयं की साधन...