गुरुवार, 11 अगस्त 2022

卐🙏卐🙏 परिच्छेद- 107, [ (25 फरवरी, 1885) श्रीरामकृष्ण वचनामृत- 107 ] 卐🙏गिरीश का प्रश्न - 'लहसुन की गन्ध क्या जायेगी ??' 卐🙏 ठाकुर देव का उत्तर -`या मतिः सा गतिर्भवेत'! Vedanta Leadership Training /卐🙏अवतार (नेता,पैगम्बर) आदि उत्साह के साथ भक्ति और ज्ञान का समन्वय करते है 卐🙏[आमतौर से भक्त का आदर्श होता है - अपने इष्टदेव (माँ काली) का दर्शन] 卐उनकी की कृपा से जड़ समाधि होने के बाद,नेता, पैगम्बर आदि भक्ति लेकर रहते हैं卐 卐🙏'मैं' तो शरीर रहने तक जायेगा नहीं, तो रहे साला 'दास' बनकर, 'भक्त' बनकर卐🙏卐🙏The Knowledge of Oneness-'भृंगी साधना शिविर' 卐🙏卐मृत्यु स्वरूपा माता की अलग-अलग भाव से पूजा और गिरीश - "मेरा मातृभाव "卐卐🙏संन्यास के कड़े नियम - गृहस्थों के नियम और गिरीश 卐🙏卐🙏स्त्रियों में कौन विद्याशक्ति हैं और कौन अविद्याशक्ति ?卐🙏[ ईश्वरत्व का मार्ग - भक्ति ही सार है ]卐🙏 अकस्मात सिद्ध, जिन्होंने उन्मनासमाधि एकाएक प्राप्त कर लिया है 卐🙏卐🙏विद्यार्थीयों का कर्तव्य परीक्षाओं में पास करना ही नहीं है - पाशमुक्त होना है卐🙏卐🙏गृहस्थ हैं तो दोनों करें- अपना सांसारिक कर्तव्य निभाते हुए अवतार से प्रेम भी करें卐🙏 卐🙏शरीर से ब्राह्मण होने पर अहंकार मत करो 卐🙏卐🙏मन को ईश्वर (या अवतार) में कैसे लगाया जाता है-अभ्यासयोग 卐🙏 (अष्टांग योग को ही ठाकुर देव अभ्यासयोग कहते थे। ) 卐🙏नरेन्द्र आदि के साथ श्रीरामकृष्ण का स्टार थिएटर में 'वृषकेतु' नाटक देखना卐🙏 卐🙏 अवतार कहते हैं - “मैं आया हूँ"; भक्त कहेगा -मैं खुद नहीं आया, लाया गया हूँ 卐🙏卐🙏 इस विश्व-रंगमंच पर "मैं खुद आया हूँ -कहना ठीक नहीं, और "मेरा" का ज्ञान卐🙏 卐🙏सम्पूर्ण विश्व ही एक थिएटर है- नरेन्द्र 卐🙏 [ परन्तु कहीं विद्या का खेल है, कहीं अविद्या का -श्रीरामकृष्ण ] 卐🙏सर्वोत्कृष्ट समागम, महाऐक्य में जब सब एकाकार हो गए -तब सब विद्या है卐🙏 卐🙏अवतार को पहचान लेने पर श्रद्धा होती है- क्या श्री रामकृष्ण अवतार हैं?卐🙏

 *परिच्छेद १०७. [ (25 फरवरी, 1885) श्रीरामकृष्ण वचनामृत- 107] गिरीश के मकान पर (१) ज्ञान-भक्ति-समन्वय का प्रसंग श्रीरामकृष्ण गिरीश घोष के बस...